यद्यपि भारतीय उद्योग तेजी से बढ़ रहे हैं परंतु आधारभूत उद्योगों में से एक उर्वरक उद्योग अपनी घरेलू आवश्यकताओं की पूर्ति में भी निरंतर अक्षम रहा है। कथन के संदर्भ में भारतीय उर्वरक उद्योग के समक्ष उपस्थित चुनौतियों का विवरण दें तथा इनसे निपटने के उपायों पर चर्चा कीजिये।
21 Sep, 2018 सामान्य अध्ययन पेपर 3 अर्थव्यवस्था
उत्तर की रूपरेखा:
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वर्तमान में भारत के समक्ष "खाद्य सुरक्षा" और कृषि उत्पादकता महत्त्वपूर्ण संवेदनशील मुद्दे हैं। कृषि उत्पादन की दक्षता बढ़ाने में उर्वरक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं किंतु भारत अपनी उर्वरक आवश्यकता हेतु पोटाश का अधिकांश भाग फॉस्फेट का 90% और यूरिया का 20% आयात करता है।
वर्तमान में भारतीय उर्वरक उद्योग की वृद्धि दर 4% है जो बढ़ती मांग की पूर्ति करने में असमर्थ है। भारतीय उर्वरक उद्योग के पिछड़े होने के निम्नलिखित कारण हैं:
ऐसी स्थिति में निम्नलिखित उपाय किये जा सकते हैं:
निष्कर्षतः यह कहा जा सकता है कि सरकार द्वारा उर्वरक क्षेत्र की अभिवृद्धि हेतु जो लक्ष्य निर्धारित किये गए हैं उसमें उत्पादन को बढ़ाकर वर्ष 2020 तक 460-470 मिलियन टन करना है इन्हें प्राप्त करने हेतु उपर्युक्त सुझावों के अनुरूप प्रयास करने होंगे। यद्यपि सरकार ने इस संदर्भ में संयुक्त उद्यम (भारत-ओमान),भारत के बाहर निर्माण (चाहबहार में निवेश), अन्वेषण (रूस,वियतनाम), नीम कोटेड यूरिया पोषण आधारित सब्सिडी आदि प्रयास किये हैं।