भ्रष्टाचार के विरुद्ध लड़ाई में नागरिकों को सक्रियता से लिप्त करने के लिये किस प्रकार के तंत्र की आवश्यकता है?
12 Jul, 2018 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्न
उत्तर की रूपरेखा
|
भ्रष्टाचार के विरुद्ध लड़ाई में विभिन्न निगरानी तंत्रों तथा संस्थाओं और नियम-कानूनों का बनाया जाना जितना महत्त्वपूर्ण है उससे भी अधिक आवश्यकता इस बात की है कि जन भागीदारी बढ़ाई जाए। भ्रष्टाचार के विरुद्ध जब तक आम जनता जागरूक नहीं होगी, वह भ्रष्ट गतिविधियों का विरोध नहीं करेगी तब तक कितने भी कानून क्यों न बना लिये जाएँ भ्रष्टाचार को जड़ से समाप्त नहीं किया जा सकता है।
एक सुदृढ़ और सतर्क सिविल समाज भ्रष्टाचार पर प्रभावी निगरानी रख सकता है तथा तमाम लोकतांत्रिक संस्थाओं को और अधिक जवाबदेह बनाया जा सकता है। इसके लिये सबसे बेहतर उदाहरण जापान है, जहाँ भ्रष्ट अधिकारियों का सामाजिक बहिष्कार कर दिया जाता है। एक अन्य उदाहरण हांगकांग की आईसीएससी (Independent Commission Against Corruption) है जिसने हांगकांग में लोगों की इस मान्यता को बदलकर रख दिया है कि भ्रष्टाचार तो जीवन का अहम् हिस्सा है। इस संस्था ने जनभागीदारी के माध्यम से एक सख्त आंदोलन भी चलाया। भारत में भी दूरदर्शन के विज्ञापनों में भ्रष्टाचार के विरुद्ध शिकायतों के लिये दूरभाष नंबर दिये गए और इस बात का आश्वासन भी दिया गया कि उनकी पूर्ण सुरक्षा की जाएगी।
‘सूचना का अधिकार’ और ‘व्हिसल ब्लोअर्स’ अधिनियम ने नागरिकों को भ्रष्टाचार विरोधी लड़ाई से जोड़ा अवश्य है परंतु फिर भी एक ऐसे तंत्र निर्माण की सख्त आवश्यकता है जो इस लड़ाई के भागीदार नागरिकों को मानसिक एवं शारीरिक सुरक्षा प्रदान करने के साथ ही भारतीय जनमानस में भ्रष्टाचार की सामाजिक स्वीकार्यता को भी जड़ से उखाड़ दे। इसके लिये मीडिया के विभिन्न माध्यमों से लेकर स्कूली व विश्वविद्यालय स्तरीय शिक्षा माध्यमों में प्रभावी ढंग से बदलाव लाया जाना आवश्यक है। हालाँकि बंगलूरू के ‘सेमुअल पोलस लोक कार्य केंद्र’ जैसे कुछ संस्थान हैं जो भ्रष्टाचार विरोध को जन भागीदारी के माध्यम से संचालित कर रहे हैं। इसके अतिरिक्त स्कूली बच्चों को ऐसी सामग्री वितरित की जाए जिसमें भ्रष्टाचार के दुष्प्रभावों को चित्रों के माध्यम से दर्शाया जाए। साथ ही, खेल, संगीत तथा नाटकों के माध्यम से भ्रष्टाचार विरोधी अभियान को और मजबूत किया जाए।
जब तक आम जनमानस में यह धारणा पुष्ट नहीं की जाएगी कि भ्रष्ट व्यवस्था को बनाए रखने के मुकाबले इसे उखाड़ फेंकने के लिये मिलने वाला प्रोत्साहन अधिक है तब तक भ्रष्टाचार को जड़ से समाप्त नहीं किया जा सकता है।