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प्रश्न :
केस स्टडी : हाल ही में आपको एक ज़िले के ज़िलाधिकारी के तौर पर नियुक्त किया गया है। नियुक्ति के बाद आप पाते हैं कि ज़िले के ग्रामीण इलाकों में लड़कियों को स्कूल भेजने के मुद्दे पर काफी तनाव है। गाँव के बड़े महसूस करते हैं कि इससे अनेक समस्याएँ पैदा हो गई हैं, क्योंकि लड़कियों को पढ़ाया जा रहा है और वे घर के सुरक्षित माहौल से बाहर क़दम रख रही हैं। उनका विचार यह है कि लड़कियों की न्यूनतम शिक्षा के बाद जल्दी से उनकी शादी कर दी जानी चाहिये। शिक्षा प्राप्ति के बाद लड़कियाँ नौकरी के लिये भी स्पर्द्धा कर रही हैं, जो कि परंपरा से लड़कों का अनन्य क्षेत्र रहा है और इससे बेरोज़गार पुरुषों की संख्या में वृद्धि हो रही है। युवा पीढ़ी महसूस करती है कि वर्तमान में लड़कियों को शिक्षा, रोज़गार तथा जीवन-निर्वाह के अन्य साधनों के संबंध में पुरुषों के समान अवसर प्राप्त होने चाहिये। ये पूरा इलाका इस बात पर वयोवृद्धों और युवाओं के बीच तथा उससे भी आगे दोनों पीढ़ियों में स्त्री-पुरुषों के बीच विभाजित है। आपको पता चलता है कि पंचायत या अन्य निकायों में या व्यस्त चौराहों पर भी इस मुद्दे पर वाद-विवाद हो रहा है। एक दिन आपको सूचना मिलती है कि एक अप्रिय घटना घटित हुई है, कुछ लड़कियाँ जब स्कूल के रास्ते में थीं तो उनके साथ छेड़खानी की गई। इस घटना के फलस्वरूप कई सामाजिक समूहों के बीच झगड़े हुए और कानून तथा व्यवस्था की समस्या पैदा हो गई। वाद-विवाद के बाद बड़े-बूढ़ों ने लड़कियों को स्कूल जाने की अनुमति न देने और जो परिवार उनके आदेश का पालन नहीं करते हैं ऐसे सभी परिवारों का सामाजिक बहिष्कार करने का निर्णय ले लिया। प्रश्न : लड़कियों की शिक्षा में व्यवधान डाले बिना उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये आप क्या कदम उठाएंगे ?
13 Jul, 2018 सामान्य अध्ययन पेपर 4 केस स्टडीज़उत्तर :
एक जिलाधिकारी होने के नाते मेरा कर्त्तव्य है कि क्षेत्र में कानून व्यवस्था बहाल हो तथा किसी भी स्थिति में लड़कियों को अपनी सुरक्षा व पढ़ाई से समझौता न करना पड़े। वर्तमान प्रसंग में लड़कियों की पढ़ाई तभी अबाधित रह सकती है, जब सुरक्षा के पर्याप्त इंतजाम कर दिये जाएँ। यह व्यवस्था अधिक सफल तब हो सकती है जब स्थानीय निवासियों में इस बात को लेकर आम सहमति हो जाए कि लड़कियों का पढ़ना-लिखना और रोज़गार पाना एक सामान्य बात है।
लड़कियों की शिक्षा में व्यवधान डाले बिना उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये मैं निम्नलिखित कदम उठाऊँगा-
- सबसे पहले मैं स्थानीय थानाध्यक्ष से कहूँगा कि वह छेड़खानी की घटना की प्राथमिकी दर्ज करें तथा दोषियों पर त्वरित कार्रवाई करें।
- मैं गाँव वालों से बात करूँगा तथा उनसे सहयोग करने का निवेदन करूँगा। साथ ही उन्हें यह चेतावनी भी दूँगा कि लड़कियों को पढ़ने से रोकने तथा छेड़खानी जैसी घटनाओं के विरुद्ध सख्ती से निपटा जाएगा।
- जब तक स्थिति सामान्य नहीं हो जाती तब तक स्कूल आने-जाने के रास्तों पर कुछ सिपाहियों की ड्यूटी लगा दूँगा, साथ ही लड़कियों से कहूँगा कि कुछ दिन वे समूहों में स्कूल जाएँ तथा जरूरत पड़ने पर आवश्यक प्रतिरोध भी करें। थानाध्यक्ष से कहूँगा कि निरीक्षण करते रहें।
उपर्युक्त उपायों से लड़कियों की सुरक्षा तो सुनिश्चित हो जाएगी, किंतु आशंका इस बात की है कि अभिभावक सामाजिक बहिष्कार तथा छेड़खानी जैसी घटनाओं के भय से लड़कियों को स्कूल ही न भेजें। इस चुनौती के समाधान के लिये मैं निम्नलिखित कदम उठाऊँगा-
- मैं अभिभावकों को इस बात के लिये आश्वस्त करूँगा कि सुरक्षा की पर्याप्त व्यवस्था कर दी गई है तथा ऐसी अप्रिय घटना की पुनरावृत्ति की संभावना नगण्य है।
- जहाँ तक सामाजिक बहिष्कार की बात है तो इसके लिये मैं गाँव के कुछ समझदार तथा प्रभावशाली लोगों, जो लड़कियों की शिक्षा को जरूरी मानते हों, ग्राम पंचायत के अधिकारियों, स्कूल के शिक्षकों को इस बात के लिये राजी करने की कोशिश करूँगा कि वे गाँव वालों को समझाएँ कि इस मामले में सामाजिक बहिष्कार गलत है। उनके समझाने का गाँव वालों पर निश्चित ही असर पड़ेगा।
- इसके बाद भी यदि स्थिति नहीं सुधरती है तो बहिष्कार की बात करने वाले लोगों को चिन्हित करूँगा तथा उन पर आवश्यक कार्रवाई करूँगा।
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