- फ़िल्टर करें :
- सैद्धांतिक प्रश्न
- केस स्टडीज़
-
प्रश्न :
केस स्टडी हाल ही में आपको एक ज़िले के ज़िलाधिकारी के तौर पर नियुक्त किया गया है। नियुक्ति के बाद आप पाते हैं कि ज़िले के ग्रामीण इलाकों में लड़कियों को स्कूल भेजने के मुद्दे पर काफी तनाव है। गाँव के बड़े महसूस करते हैं कि इससे अनेक समस्याएँ पैदा हो गई हैं, क्योंकि लड़कियों को पढ़ाया जा रहा है और वे घर के सुरक्षित माहौल से बाहर कदम रख रही हैं। उनका विचार यह है कि लड़कियों की न्यूनतम शिक्षा के बाद जल्दी से उनकी शादी कर दी जानी चाहिये। शिक्षा प्राप्ति के बाद लड़कियाँ नौकरी के लिये भी स्पर्द्धा कर रही हैं, जो कि परंपरा से लड़कों का अनन्य क्षेत्र रहा है और इससे बेरोज़गार पुरुषों की संख्या में वृद्धि हो रही है। युवा पीढ़ी महसूस करती है कि वर्तमान में लड़कियों को शिक्षा, रोज़गार तथा जीवन-निर्वाह के अन्य साधनों के संबंध में पुरुषों के समान अवसर प्राप्त होने चाहिये। यह पूरा इलाका इस बात पर वयोवृद्धों और युवाओं के बीच तथा उससे भी आगे दोनों पीढि़यों में स्त्री-पुरुषों के बीच विभाजित है। आपको पता चलता है कि पंचायत या अन्य निकायों में या व्यस्त चौराहों पर भी इस मुद्दे पर वाद-विवाद हो रहा है। एक दिन आपको सूचना मिलती है कि एक अप्रिय घटना घटित हुई है, कुछ लड़कियाँ जब स्कूल के रास्ते में थीं तो उनके साथ छेड़खानी की गई। इस घटना के फलस्वरूप कई सामाजिक समूहों के बीच झगड़े हुए और कानून तथा व्यवस्था की समस्या पैदा हो गई। वाद-विवाद के बाद बड़े-बूढ़ों ने लड़कियों को स्कूल जाने की अनुमति न देने और जो परिवार उनके आदेश का पालन नहीं करते हैं ऐसे सभी परिवारों का सामाजिक बहिष्कार करने का निर्णय ले लिया। प्रश्न : पीढ़ियों के बीच संबंधों में समरसता सुनिश्चित करने के लिये आप गाँव के वयोवृद्धों की पितृतंत्रात्मक अभिवृत्ति का किस प्रकार प्रबंधन करेंगे?
14 Jul, 2018 सामान्य अध्ययन पेपर 4 केस स्टडीज़उत्तर :
एक ज़िलाधिकारी होने के नाते मेरा कर्त्तव्य है कि क्षेत्र में क़ानून व्यवस्था बहाल हो तथा किसी भी स्थिति में लड़कियों को अपनी सुरक्षा व पढ़ाई से समझौता न करना पड़े। वर्तमान प्रसंग में लड़कियों की पढ़ाई तभी अबाधित रह सकती है, जब सुरक्षा के पर्याप्त इंतज़ाम कर दिये जाएँ। यह व्यवस्था अधिक सफल तभी हो सकती है जब स्थानीय निवासियों में इस बात पर आम सहमति हो जाए कि लड़कियों का पढ़ना-लिखना और रोज़गार पाना एक सामान्य बात है।
गाँव के वयोवृद्धों की पितृतंत्रात्मक अभिवृत्ति को प्रबंधित करने के लिये मैं निम्नांकित क़दम उठाऊंगा–
- पीढ़ी अंतराल के कारण मूल्यों में अंतर हो जाना स्वाभाविक है। इसलिये मैं सबसे पहले उन्हें बताऊंगा कि लड़कियों को शिक्षा से वंचित कर देना न केवल क़ानून के विरुद्ध, बल्कि अनैतिक भी है। अभिवृत्ति बदलने के लिये सूचनाओं की पर्याप्त उपलब्धता आवश्यक होती है। विभिन्न कहानियों और चलचित्रों के माध्यम से बताऊंगा कि कैसे लड़कियाँ हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही हैं, कुछ सफल महिलाओं के उदाहरण भी दूंगा। उन्हें यह भी बताऊंगा कि ऐसा न करने से उनका क्षेत्र पिछड़ता चला जाएगा।
- क्षेत्र की किसी सफल महिला से निवेदन करूंगा कि वह स्त्री शिक्षा के क्षेत्र में गाँव वालों को जागरूक करे क्योंकि अनुनय अभिवृत्ति को बदलने में सहायक होता है।
- उन्हें समझाने का प्रयास करूंगा कि जो शिक्षा व रोज़गार लड़कों के लिये अच्छा है वह भला लड़कियों के लिये बुरा कैसे हो सकता है? और अगर इस बात का भी उनपर असर नहीं पड़ता है तो उन्हें कहूंगा कि समस्या दरअसल लड़कियों के पढ़ने व रोज़गार करने में नहीं, बल्कि हमारी सोच में है।
यद्यपि पितृसत्तावादी जैसी परंपरागत व मज़बूत अभिवृत्ति को अचानक से बदल पाना संभव नहीं है, किंतु मुझे विश्वास है कि उपर्युक्त उपाय समाधान की दिशा में मज़बूत प्रयास हो सकते हैं।
To get PDF version, Please click on "Print PDF" button.
Print