“चिकित्सा क्षेत्र में विद्यमान विकास की व्यापक संभावनाओं के आलोक में व्यावहारिक नैतिकता के क्षेत्र में जैव नैतिकता अत्यधिक रुचिकर क्षेत्र हो गया है।” इस संबंध में रूपरेखा को स्पष्ट करते हुए वर्तमान में इसकी प्रासंगिकता पर चर्चा करें।
16 Jul, 2018 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्न
उत्तर की रूपरेखा
|
जैव नैतिकता, मेडिसिन एवं जीव विज्ञान में हुई प्रगति से उत्पन्न नैतिक विवादों का अध्ययन है। यह जैव प्रौद्योगिकी, औषधि, राजनीति, कानून, जीव विज्ञान के मध्य उठने वाले नैतिक प्रश्नों से संबंधित है। इसके अंतर्गत प्राथमिक देखभाल और चिकित्सा के अन्य आयामों से जुड़े नैतिक मुद्दों के प्रश्नों को उठाया जाता है।
हालाँकि जैव नैतिकता के मुद्दों पर प्राचीन काल से बहस होती आई है परंतु वर्तमान में मानव क्लोनिंग, सरोगेसी, स्टेम सेल, यूथेनेशिया, गर्भपात, दवाइयों के ट्रायल आदि मुद्दों पर जैव नैतिकता का प्रश्न उभर कर सामने आया है।
क्लोनिंग, सरोगेसी से लेकर दवाइयों के ट्रायल तक का मुद्दा किसी व्यक्ति या जीव को साधन बनाने पर आधारित है, अर्थात् इन सभी मुद्दों पर प्राप्त साध्य हेतु किसी व्यक्ति जीव को साधन बनाया जाता है। उदाहरण के तौर पर किसी दवा का ट्रायल गरीब व्यक्तियों या पशुओं पर किया जाता है जिसका दुष्प्रभाव इन पर पड़ता है। गर्भपात को लेकर माँ के जीवन का अधिकार व अजन्मे बच्चे के अधिकार पर नैतिक दुविधा का प्रश्न उभरता है जो विभिन्न देशों में भिन्न-भिन्न कानूनों से दृष्टिगत होता है।
यूथेनेशिया पर व्यक्ति के मानव अधिकारों व सक्रिय तथा निष्क्रिय इच्छामृत्यु पर नैतिक आयामों को स्पष्ट देखा जा सकता है। अतः व्यापक समाजिक लाभ हेतु किसी को साधन बनाना उपयोगितावादी नैतिकता से साम्यता तो दर्शाता है परंतु साथ ही कांटवादी व गांधीवादी नैतिकता से वैषम्यता दर्शाता है।
अतः इस परिप्रेक्ष्य में कानून के दायरे में रहते हुए जैव नैतिकता का पालन किया जाना अनिवार्य है। ताकि इससे अधिक-से-अधिक मानवाधिकारों व पर्यावरण नैतिकता का समन्वय स्थापित किया जा सके। साथ ही, तकनीकी उन्नयन को अधिक वस्तुनिष्ठ, न्यायप्रधान, मानवतावादी मूल्यों यथा - सत्यनिष्ठा, करुणा, आदि से साम्यता को बनाया जा सके।