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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    यह सुनिश्चित करने के लिये कि केवल ईमानदार अधिकारियों की तैनाती नाज़ुक कामों में की जा सके; किस प्रकार के तंत्र की आवश्यकता है?

    18 Jul, 2018 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्न

    उत्तर :

    लोकसेवाओं के किसी भी पद पर ऐसे अधिकारियों की नियुक्ति की जानी चाहिये जो प्रशासनिक सेवाओं के अपेक्षित सभी नैतिक मूल्यों को धारण करता हो। इसकी जानकारी उक्त अधिकारी के कार्य प्रतिवेदन से भी प्राप्त की जा सकती है।

    वस्तुतः विभिन्न सरकारी सेवाओं में भिन्न-भिन्न श्रेणियों की आचार संहिता की सामान्य विशेषताओं में यह शामिल है कि सरकारी सेवक से यह अपेक्षा की जाती है कि वह पूर्ण सत्यनिष्ठा बरतेगा, अपने कर्त्तव्यों के प्रति समर्पित रहेगा, पद की गरिमा को भंग करने वाले कृत्य नहीं करेगा, पूरी तत्परता और शिष्टाचार के साथ वह अपने सरकारी कार्यों के निष्पादन में न्यायोचित व्यवहार करेगा। वह अपना संबंध ऐसी गतिविधियों से नहीं रखेगा जो देश की संप्रभुता और सत्यनिष्ठा के विपरीत हों। वह अपने निजी व्यवसायों को सरकारी पद पर रहते हुए कभी संचालित नहीं करेगा और न ही अपने पद के ज़रिये भ्रष्टाचार करके कोई भी आर्थिक लाभ प्राप्त करेगा। वह नशे और जुए में लिप्त नही होगा और यह प्रयास करेगा कि ऋण मुक्त रहे। अपने कानूनी क्षेत्राधिकार से इतर मीडिया में कोई बयान न दे और स्वयं को किसी भी दलगत राजनीति से संबद्ध न करे। इन मानदंडों के मूल्यांकन की उचित व्यवस्था जैसे अधिकारियों की निःस्वार्थ भावना, सत्यनिष्ठा, विषयनिष्ठता, जवाबदेही, पारदर्शिता, उनके कुशल नेतृत्व तथा ईमानदारी का मूल्यांकन करके कार्यों के जोखिम के हिसाब से उनकी नियुक्ति की जाए। जो अधिकारी इन मूल्यांकनों में खरे उतरें और समय पर अपने कार्यों के मूल्यांकन में जवाबदेह तथा ईमानदार पाए जाएँ उनकी ही नियुक्ति उच्च जोखिम वाले कार्य अर्थात् भ्रष्टाचार की संभावना जहाँ सर्वाधिक है वहाँ की जानी चाहिये। ईमानदारी के मूल्यांकन का सबसे बड़ा पैमाना यही है कि अधिकारियों को उनके निजी हितों की सार्वजनिक घोषणा करने के लिये बाध्य किया जाए जिससे उन्हें ऐसे सार्वजनिक निर्णय जो कि उनके निजी हितों से संबंधित हों, के लिए ज़िम्मेदार ठहराए जा सकें। 

    उचित स्तरों पर अफसरशाही को संवेदनशील और जवाबदेह बनाए जाने की आवश्यकता है। हम ईमानदार और सत्यनिष्ठ अधिकारियों का मूल्यांकन कर सकें , इसके लिए प्रतिष्ठित व्यक्तियों की एक समिति द्वारा हर 5 वर्ष पर निगरानी कार्य किया जाना चाहिये क्योंकि विभागीय अधिकारी कोई भी विवादित टिप्पणी करने से बचते हैं जिससे निष्पक्ष मूल्यांकन की सीमा नगण्य हो जाती है। इसके साथ ही, महत्त्वपूर्ण पदों पर नियुक्ति के समय विभिन्न सतर्कता संगठनों की रिपोर्टों को भी ध्यान में रखना आवश्यक है। 

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