अंततः कानून ही नैतिक शासन के लिये आधार के रूप में कार्य कर सकता है। क्या आप इस कथन से सहमत हैं? तर्क सहित व्याख्या करें।
26 Jul, 2018 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्न
उत्तर की रूपरेखा
|
कानून सरकार द्वारा संहिताबद्ध मानदंड है, जो अपने नागरिकों के साथ सिविल सेवक को क्या करना चाहिये और क्या नहीं करना चाहिये, इस बात को परिभाषित करता है। लोकतंत्र में कानून लोगों के प्रतिनिधियों द्वारा बनाया जाता है, इसलिये परोक्ष रूप से लोगों द्वारा इन कानूनों का अनुमोदन किया गया होता है। अतः ये कानून वास्तव में देश के लोगों की मांग को पूरा करने के लिये सिविल सेवकों को क्या करना चाहिये, इस बात को परिभाषित करते हैं।
जब तक सिविल सेवक लोगों की मांग को समझ नहीं पाएंगे, तब तक वे ठीक तरह से सेवा नहीं कर पाएंगे। इन परिस्थितियों में कानून जनता के हित में सिविल सेवकों को उनके कर्त्तव्यों का प्रदर्शन करने में उन्हें मदद करते हैं। इस तरह कानून नैतिक शासन लाने में मदद करता है।
मानव कुछ प्राकृतिक अधिकारों जैसे- जीवन का अधिकार, शांति, खुशी का अधिकार के साथ पैदा होता है और जो कानून इन अधिकारों का उल्लंघन करते हैं वे नैतिक शासन नहीं ला सकते हैं। जो कानून प्राकृतिक अधिकारों की रक्षा करने में विफल होते हैं, उन कानूनों को अनुचित माना जाता है।
जो कानून प्राकृतिक कानून के अनुरूप हैं, उन्हें न्यायोचित माना जाता है और अगर वे प्राकृतिक नियम का उल्लंघन करें तो वे नैतिक शासन नहीं ला सकते हैं।