हाल ही में भारत सरकार ने ‘राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति-2017’ को अनुमोदित किया है। नई राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति के प्रमुख प्रावधानों का उल्लेख करते हुए इस नीति का विश्लेषण करें।
31 Mar, 2017 सामान्य अध्ययन पेपर 2 राजव्यवस्थाराष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति 2002 के लागू होने के 15 वर्ष पश्चात् गुणवत्तायुक्त स्वास्थ्य-देखभाल (Health care) सुविधाओं को सर्वसुलभ बनाने के उद्देश्य से भारत सरकार ने हाल ही में ‘भारतीय स्वास्थ्य नीति-2017’ को अनुमोदित किया है। इसे स्वास्थ्य-क्षेत्र के इतिहास की एक बड़ी छलाँग माना जा रहा है।
इस नीति के प्रमुख प्रावधान निम्नलिखित हैं-
इसके तहत अगले पाँच वर्षों में सकल घरेलू उत्पाद का 2.5 प्रतिशत तक जन-स्वास्थ्य पर खर्च किया जाएगा, जो मौजूदा 1 प्रतिशत के स्तर से काफी ज्यादा है।
इस नीति में प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल को प्राथमिकता देने के साथ-साथ सार्वजनिक अस्पतालों में निःशुल्क दवाइयाँ मुहैया कराने पर भी जोर दिया गया है।
इसके तहत सरकार ने 2017 तक कालाजार तथा फाइलेरिया, 2018 तक कुष्ठ रोग, 2020 तक खसरा और 2025 तक तपेदिक का उन्मूलन करने की कार्य-योजना तैयार की है। हृदयवाहिका रोग, कैंसर, मधुमेह या श्वास संबंधी रोगों से होने वाली अकाल मृत्यु को साल 2025 तक घटाकर 25 प्रतिशत तक करने की बात कही गई है एवं गैर-संक्रामक रोगों की उभरती चुनौतियों से भी निपटने पर ध्यान केन्द्रित किया गया है।
नई नीति अनुसार, वर्ष 2022 तक प्रमुख रोगों के प्रसार तथा उनके रुझान को मापने के लिये अशक्तता समायोजित आयु वर्ष (D.A.L.Y.) सूचकांक की नियमित निगरानी की जाएगी।
नई स्वास्थ्य नीति में साल 2025 तक दृष्टिहीनता की व्याप्तता घटाने और उसके रोगियों के वर्तमान स्तर को घटाकर एक तिहाई तक करने का प्रस्ताव किया गया है।
नई नीति में जीवन प्रत्याशा को 68.7 साल से बढ़ाकर साल 2025 तक 70 साल करने का लक्ष्य, अकाल मृत्यु को 25 प्रतिशत कम करने तथा पाँच वर्ष से कम आयु के बच्चों की मृत्युदर को वर्ष 2025 तक कम करके 23 प्रति एक हजार का लक्ष्य रखा गया है। शिशु मृत्युदर को घटाकर 28 प्रति हजार (2019 तक) का लक्ष्य भी इस नीति में शामिल है।
2025 तक कुल प्रजनन दर (TFR) को 2.1 के स्तर तक लाना।
वर्ष 2020 तक हर व्यक्ति तक स्वच्छ पानी की उपलब्धता सुनिश्चित करना।
चिकित्सा बहुलवाद (Medical Pluralism) को प्रोत्साहित करना।
वर्ष 2025 तक यह सुनिश्चित करना कि 90 प्रतिशत नवजातों को एक वर्ष के होने तक प्रतिरक्षित (Immunised) कर दिया जाये।
निश्चित तौर पर नई राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति में स्वास्थ्य क्षेत्र से संबंधित सभी आयामों-चिकित्सा सुविधाओं का प्रबंधन एवं वित्तपोषण करने, विभिन्न क्षेत्रीय कार्रवाईयों के जरिये रोगों की रोकथाम और अच्छे स्वास्थ्य को बढ़ावा देने, आधुनिक चिकित्सा प्रौद्योगिकी उपलब्ध कराने, मानव संसाधन का विकास करने, चिकित्सा बहुलवाद को प्रोत्साहित करने, बेहतर स्वास्थ्य के लिये अपेक्षित ज्ञान आधार बनाने, स्वास्थ्य के विनियमन और उत्तरोतर विकास के संबंध में स्वास्थ्य प्रणालियों को आकार देने में सरकार की भूमिका और प्राथमिकता आदि की जानकारी दी गई है। इस रूप में यह नीति स्वास्थ्य देखभाल संबंधी सभी सैद्धान्तिक पहलुओं को छूने का प्रयास करती है। चूँकि इस नीति का उद्देश्य स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं को सर्वसुलभ (विशेषतः अल्पसेवित व उपेक्षित लोग तक पहुँच) करना है, इसी अनुरूप इस नीति में क्रियान्वयन की रूपरेखा भी तैयार की गई है। इस नीति के उचित क्रियान्वयन से जन-स्वास्थ्य के स्तर में निश्चित तौर पर सुधार की संभावना परिलक्षित होती है। जीवन-प्रत्याशा में बढ़ोत्तरी, सार्वभौमिक प्रतिरक्षण, स्वच्छ जल व स्वच्छता की उपलब्धता तथा सर्वसुलभ चिकित्सा सुविधाओं की उपस्थिति से मानव संसाधन का विकास भी सुनिश्चित होगा।