भारत में सूखा, बाढ़ एवं पेयजल की अनुपलब्धता जैसी समस्याओं को एक साथ साधने के लिये 'नदी जोड़ो परियोजना' एक रामबाण साबित हो सकती है। समालोचनात्मक मूल्यांकन कीजिये।
06 Apr, 2017 सामान्य अध्ययन पेपर 3 पर्यावरणभारत सरकार के जल संसाधन मंत्रालय के अंतर्गत राष्ट्रीय जल विकास अभिकरण (NWDA) की इस नदी जोड़ो परियोजना के तहत हिमालयी और प्रायद्वीपीय क्षेत्र की चिह्नित नदियों एवं क्षेत्रों को कुल 30 ‘लिंकों’ द्वारा आपस में जोड़ा जाना है। इसमें हिमालयी क्षेत्र में 14 तथा प्रायद्वीपीय क्षेत्र में 16 संपर्क नहरें शामिल हैं। हाल ही में ‘केन-बेतवा लिंक’ को पर्यावरणीय मंजूरी के लिये हरी झण्डी मिलने के साथ ही इस राष्ट्रव्यापी योजना के पहले चरण की शुरुआत होने की संभावना बढ़ गई है।
नदी जोड़ो परियोजना की आवश्यकता क्योंः
परंतु इस नदी जोड़ो परियोजना के जितने लाभ परिलक्षित हो रहे हैं, वे सिक्के का सिर्फ एक पहलू हैं। इस परियोजना को धरातल पर लाना आसान नहीं है क्योंकि इस परियोजना के विरोध में भी प्रभावी तर्क दिये जा रहे हैं। यथा-
दोनों पहलुओं पर गौर करने पर यह स्पष्ट होता है कि यद्यपि नदी जोड़ो परियोजना में असीम संभावनाएँ हैं तथा यह सूखा (जलाभाव क्षेत्र), बाढ़ (जलाधिक्य क्षेत्र) और पेयजल अनुपलब्धता जैसी समस्याओं के निराकरण में रामबाण साबित हो सकती है परंतु विस्तृत पर्यावरणीय और सामाजिक प्रभाव आंकलन के बिना इस परियोजना को धरातल पर लाने से बचना चाहिये ताकि भविष्य में यह किसी गंभीर स्थिति का कारण न बन सके।