‘यूनिवर्सल बेसिक इनकम’ किसी देश के नागरिकों को सामाजिक सुरक्षा (Social security) प्रदान करने का एक महत्त्वपूर्ण उपकरण होता है, परन्तु भारत में इसे लागू करना भारत की वर्तमान सामाजिक-आर्थिक परिस्थितियाँ में एक चुनौतीपूर्ण कदम हो सकता है। विवेचना करें।
10 Apr, 2017 सामान्य अध्ययन पेपर 3 अर्थव्यवस्था‘यूनिवर्सल बेसिक इनकम’ से तात्पर्य एक ऐसी ‘न्यूनतम आधारभूत आय’ से है जो किसी देश की सरकार या उस देश की कोई सार्वजनिक संस्था, देश के नागरिकों या निवासियों को बिना किसी शर्तों के नियमित तौर पर आजीविका हेतु प्रदान करती है। इसके अन्तर्गत दो महत्त्वपूर्ण पहलू होते हैं- एक तो यह कि इसमें लाभार्थी इकाई कोई ‘परिवार’ न होकर ‘व्यक्ति’ होता है तथा दूसरा यह है कि यदि किसी व्यक्ति के पास आय के अन्य स्रोत भी हैं, तब भी उसे यह आय प्राप्त होगी।
भारत की वर्तमान सामाजिक-आर्थिक परिस्थितियाँ अभी यू.बी.आई. के लागू किये जाने के अनुकूल नहीं हैं, क्योंकि-
परन्तु, उपरोक्त सीमाओं के उपरान्त भी इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है कि यू.बी.आई एक सकारात्मक अवधारणा है। इससे देश के प्रत्येक नागरिक को आर्थिक-सुरक्षा मिलती है जिससे उसके जीवन में गुणवत्ता की वृद्धि होती है, उसका आत्मविश्वास बढ़ता है। दूसरा, इस योजना से सभी वर्गों की जरूरतों को एक साथ लक्षित किया जा सकता है।
भारत के संदर्भ में सरकार को चाहिये कि यू.बी.आई को पहले कुछ अत्यन्त निर्धन ब्लॉक एवं जिलों में परीक्षण के लिये ‘पायलट प्रोजेक्ट’ के तौर पर एक-दो वर्ष की अवधि के लिये लागू किया जायें और यदि इसके सकारात्मक परिणाम सामने आते हैं और पर्याप्त संसाधन भी उपलब्ध हो पाते हैं, तो इसे अन्य क्षेत्रों में भी लागू करने का विचार करना चाहिये।