नोएडा शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 9 दिसंबर से शुरू:   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    भारत द्वारा इस्पात आयात पर आरोपित न्यूनतम आयात शुल्क की युक्तियुक्तता की भारत-जापान इस्पात विवाद के संदर्भ में चर्चा करें।

    13 Apr, 2017 सामान्य अध्ययन पेपर 3 अर्थव्यवस्था

    उत्तर :

    भारत ने सितंबर 2015 में कुछ इस्पात उत्पादों के आयात पर 20% शुल्क (Provisional Safeguard duty) लगाया और फरवरी 2016 में उसने इस्पात के आयात के लिये एक न्यूनतम मूल्य (floor price) निश्चित कर दिया था। इस संबंध में जापान ने भारत के खिलाफ विश्व व्यापार संगठन (WTO) में शिकायत दर्ज की है एवं जापान का कहना है कि भारत का कदम विश्व व्यापार संगठन के नियमों के खिलाफ है एवं इस कारण से भारत में उसका निर्यात गिरा है। जापान जहाँ 2015 में भारत को लौह-इस्पात निर्यात करने वाला छठा सबसे बड़ा देश था वहीं नवंबर 2016 में यह 10वें स्थान पर आ गया। 

    जापान विश्व का दूसरा सबसे बड़ा इस्पात उत्पादक देश है एवं यह उद्योग जापान की अर्थव्यवस्था का आधार है। जाापान जो सामान्यतः ऐसे विवादों को वार्ता के द्वारा निपटाना पसंद करता है, उसने इस मामले में काफी आक्रामक प्रतिक्रिया दी है क्योंकि भारत के इस कदम से उसे काफी आर्थिक नुकसान झेलना पड़ रहा है। जापान के निवेदन पर WTO ने इस मुद्दे पर एक ‘विवाद निवारण पेनल’ गठित किया है। 

    यद्यपि भारत ने इस्पात पर न्यूनतम आयात शुल्क इसलिये लगाया क्योंकि चीन, जापान और कोरिया जैसे इस्पात अधिशेष वाले देशों से कम मूल्य पर इस्पात के आयात के कारण भारत के घरेलू लौह इस्पात उद्योग का विकास बाधित हो रहा है। विश्व भर में लौह-इस्पात को लेकर व्यापारिक विवाद बढ़ रहे हैं एवं दुनिया के सबसे बड़े लौह इस्पात उत्पादक चीन ने बेहद कम कीमतों पर लौह-इस्पात निर्यात किया जिस कारण अनेक देशों ने एंडी डंपिंग ड्यूटी एवं न्यूनतम आयात शुल्क जैसे अवरोध लगाए है ताकि उनके घरेलू लौह-इस्पात उद्योगों को बचाया जा सके। 

    अतः अपने घरेलू लौह इस्पात उद्योग को बचाने के लिये भारत द्वारा उठाये गये कदमों को नियम-विरुद्ध तो नहीं कहा जा सकता परन्तु यदि भारत-जापान के मध्य के व्यापारिक-वाणिज्यिक संबंधों पर गौर करें तथा जापान द्वारा भारत के मैट्रो-प्रोजेक्ट, औद्योगिक-कॉरिडोर व अन्य परियोजनाओं में निवेश पर ध्यान दें तो यह ज्यादा तर्कसंगत लगता है कि भारत को जापान के साथ द्विपक्षीय वार्त्ता के जरिये ही इस विवाद को सुलझा लेना चाहिये था। आपसी समझ एवं सहयोग द्वारा व्यापारिक गतिरोध को हल करना ही हमेशा युक्तिसंगत माना जाता है।

    To get PDF version, Please click on "Print PDF" button.

    Print
close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2
× Snow