मानव जीवन के लिये जल की उपयोगिता एवं जल संकट की संभावित आशंका को देखते हुए भारत जैसे देशों में ‘जलापूर्ति का निजीकरण’ उपयुक्त कदम नहीं कहा जा सकता। उचित तर्क देकर सिद्ध करें।
21 Apr, 2017 सामान्य अध्ययन पेपर 3 अर्थव्यवस्थाजल जीवों के लिये अत्यंत महत्त्वपूर्ण संसाधन है जिसके बिना पृथ्वी पर जीवन संभव नहीं है। किंतु, ग्लोबल वार्मिंग, व्यापक सूखा एवं जल तंत्रों में प्रदूषण में लगातार वृद्धि के कारण बढ़ती वैश्विक आबादी की मांगों को पूरा करने के लिये जल की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करना इस शताब्दी की सर्वप्रमुख चुनौतियों में से एक है।
जल के निजीकरण के विरूद्ध तर्क-
अतः जल क्षेत्र की वास्तविक समस्या का समाधान जलापूर्ति का निजीकरण नहीं है बल्कि उचित प्रबंधन है। इसके लिये हमें पारदर्शी, जवाबदेह और उत्तरदायी प्रशासन की आवश्यकता है। साथ ही, निजीकरण के बजाय सार्वजनिक निजी भागीदारी (PPP) मॉडल के माध्यम से इस क्षेत्र में सरकार एवं निजी क्षेत्र में साझेदारी को बढ़ाया जा सकता है एवं ‘स्वच्छ जल ट्रस्ट फंड’ की स्थापना की जा सकती है जो सार्वजनिक फंड की मदद से देश के मूल्यवान जल संसाधनों को रक्षा कर उन्हें आम जनता को उपलब्ध कराने का प्रयास करें।