खाद्य उत्पादन कभी भी भारत के लिये चिंता का विषय नहीं रहा है लेकिन फिर भी हर दिन लाखों भारतीय भूखे रह जाते हैं। कारण सहित व्याख्या कीजिये।
08 Sep, 2018 सामान्य अध्ययन पेपर 3 अर्थव्यवस्था
उत्तर की रूपरेखा
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एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में भारत खाद्यान्न उत्पादन के मामले में पूर्णरूप से आत्मनिर्भर देश है। 2016-17 में यहाँ 270 मिलियन टन से अधिक खाद्यान्न का उत्पादन किया गया, जो इसकी आबादी के भोजन के लिये 230 मिलियन टन की वार्षिक आवश्यकता से अधिक है, लेकिन फिर भी हर दिन लाखों भारतीय भूखे रह जाते हैं क्योंकि खाद्य पदार्थ उन तक न पहुँच कर कूड़े में फेंके जा रहे हैं, जिसका मुख्य कारण भंडारण की उचित व्यवस्था न होने से खाद्य पदार्थों का नष्ट हो जाना है।
गौरतलब है कि भारत में बड़े पैमाने पर खाद्यान्नों को बिना किसी प्रौद्योगिकी का उपयोग किये पुराने गोदामों में संगृहीत किया जाता है नतीज़तन, 14 अरब डॉलर की उपज सालाना खराब हो जाती है। इसे निम्न प्रकार से समझा जा सकता है :
भंडारण की उचित व्यवस्था न होने के कारण खाद्य पदार्थों में फफूंद लग जाती है, मतलब जो अनाज जनता को उपभोग के लिये प्राप्त होता है वह नमी के साथ कवकयुक्त होता है जो कि अनेक बीमारियों का कारण बनता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट के मुताबिक, “माइकोटॉक्सिन्स”, जो फफूंद लगे अनाज/खाद्य पदार्थों में पाए जाते हैं तथा मानव स्वास्थ्य के लिये हानिकारक होते हैं और एफ्लाटॉक्सिन (कैंसर कारक), ट्राइकोथेसेन, ओक्रेटॉक्सिन्स, साइट्रिनिन जैसे अन्य विषैले पदार्थ उत्पन्न करते हैं।
यद्यपि सरकार इस ओर ध्यान दे रही है और भंडारण की आधुनिक ‘साइलो’ तकनीक को अपनाया जा रहा है, लेकिन वर्तमान में अनाज के भंडारण की अक्षमता एक प्रमुख चुनौती बनी हुई है जो कि भारत में अधिक उत्पादन के बावजूद भी अधिकांश आबादी को गरीबी और भुखमरी की ओर धकेलती है।