भारत में आपदा प्रबंधन की बढ़ती आवश्यकता पर प्रकाश डालिए। साथ ही, आपदा प्रबंधन में इसरो (ISRO) के योगदान की विवेचना कीजिये।
26 Apr, 2017 सामान्य अध्ययन पेपर 3 अर्थव्यवस्थाआपदा एक प्राकृतिक या मानव निर्मित जोखिम का ‘प्रभाव’ है, जो समाज एवं पर्यावरण को बड़े स्तर पर नकारात्मक रूप से प्रभावित करता है। सूखा, बाढ़, चक्रवाती तूफान, भूकंप, भूस्खलन, वनों में लगने वाली आग, टिड्डी दल और ज्वालामुखी फटने की घटनाएँ ‘आपदा’ का स्वरूप ले लेती हैं।
एक सक्षम आपदा प्रबंधन प्रणाली द्वारा विभिन्न आपदाओं से होने वाली क्षति से काफी हद तक बचा जा सकता है। कम-से-कम जनहानि को तो न्यूनतम या शून्य किया ही जा सकता है। भारतीय उपमहाद्वीप की भौगोलिक एवं पर्यावरणीय स्थिति ऐसी है कि यहाँ विभिन्न प्रकार की आपदाओं के घटित होने की संभावनाओं को नकारा नहीं जा सकता। यथा-
भारत में बढ़ती जनसंख्या की आवश्यकताओं के कारण भी पर्यावरण में मानवीय हस्तक्षेप बढ़ने से विभिन्न प्रकार की आपदाओं की बारम्बारता बढ़ी है। अतः एक कुशल, प्रभावी, एवं मजबूत आपदा प्रबंधन प्रणाली की सक्रियता आज की आवश्यकता है।
आपदा प्रबंधन में इसरो को योगदानः
इसरो के INSAT-3D, INSAT-3DR, INSAT-1A, IRS-1A और CARTOSAT-2D उपग्रह आपदा-प्रबंधन में महत्ती भूमिका निभाते हैं। ये उपग्रह निम्नलिखित तरीकों से आपदा प्रबंधन में सहयोग करते हैं-
(i) आपदा-पूर्व सूचना देने में, यथा-
(ii) आपदा के दौरान राहत कार्य में सहायक, यथा-
(iii) आपदा उपरांत सहायक, यथा-