भारतीय रेल अपने राजसव का अधिकांश हिस्सा यात्री किराया और मालभाड़ा से प्राप्त करता है जबकि विश्व के अनेक देशों में रेलवे अपने राजस्व का बड़ा हिस्सा गैर किराया स्रोतों से प्राप्त कर रहे हैं। भारत में ऐसे कौन-कौन से प्रयास किये जा रहे हैं जिनके माध्यम से रेलवे के राजस्व में गैर किराया स्रोतों की हिस्सेदारी संतोषजनक स्तर तक बढ़ने की आशा है?
उत्तर :
भारतीय रेल अपने कुल राजस्व का केवल 5% तक ही गैर-किराया स्रातों से प्राप्त करता है जबकि विश्व के अनेक देशों में रेलवे अपने राजस्व का 20% तक हिस्सा गैर किराया स्रोतों से प्राप्त करता है। भारतीय रेलवे ने भी अगले 5 वर्षों में गैर किराया स्रोतों से प्राप्त राजस्व को वैश्विक स्तर तक पहुँचाने का लक्ष्य तय किया है। इसके लिये भारतीय रेलवे निम्नलिखित प्रयास कर रहा है-
- मई 2016 में गैर किराया राजस्व के लिये एक अलग निदेशालय का गठन किया गया जिसने ‘आउट ऑफ हॉम विज्ञापन’ की सिफारिश की अर्थात ट्रेनों, लेवल क्रॉसिंग एवं पटरियों के किनारे की जगहों का इस्तेमाल विज्ञापन के लिये करने की सिफारिश की।
- एक नीति तैयार की गई है जिसके प्रावधानों में रेलवे प्लेटफार्म को शादियों में रिसेप्शन के लिये देना भी शामिल है।
- एक रेल डिस्प्ले नेटवर्क तैयार किया जा रहा है जिसके तहत देशभर के 2,000 स्टेशनों पर 2 लाख स्क्रीन लगाई जाएंगी। इनका प्रयोग यात्री सुविधाओं आदि की जानकारी के लिये किया जाएगा, साथ ही इन पर व्यावसायिक विज्ञापन दिखाकर कमाई की जा सकेगी।
- मांग पर कंटेंट सुविधा (Content on Demand facility) के तहत यात्रियों को मांग रेडियो, वीडियो, डिजिटल म्यूजिक और डिजिटल गेमिंग की सुविधाएँ प्रदान की जाएगी।
- रेलवे मोबाइल ऐप आधारित कैब सेवाएँ प्रारंभ करने जा रहा है जिसके तहत IRCTC ऐप से टिकट बुक कराने वाले यात्री कैब एग्रीगेटर (जैसे-ओला, उबेर, मेरू आदि) के साथ स्टेशन से आगे की यात्रा का इंतजाम कर सकते हैं।
- रेलवे स्टेशनों पर ATM लगाकर उनसे किराया प्राप्त किया जाएगा।
- रेलवे में राजस्व की अपार संभावनाएँ हैं एवं एक उपयुक्त नीति और उसका उचित क्रियान्वयन इन संभावनाओं को साकार करने एवं रेलवे का पुनर्विकास एवं उन्न्यन सुनिश्चित के लिये आवश्यक है।
इस प्रकार, गैर किराया स्रोतों से राजस्व वृद्धि से न केवल किराया राजस्व पर निर्भरता कम होगी बल्कि इसके प्रयोग से रेलवे का आधुनिकीकरण करने में भी सहायता मिलेगी।