भुगतान व्यवस्था (Payment Regime) पर गठित रतन वतल समिति ने नए ‘पैमेंट रेगुलेटरी बॉर्ड’ की स्थापना की सिफारिश की है। इस बॉर्ड के गठन की आवश्यकता पर चर्चा करते हुए बताएँ कि इसके गठन के समक्ष क्या-क्या चुनौतियाँ हैं?
03 May, 2017 सामान्य अध्ययन पेपर 3 अर्थव्यवस्थाभारत में डिजिटल भुगतान ढाँचे की समीक्षा के लिये वित्त मंत्रालय ने पूर्व वित्त सचिव रतन वतल की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया। इस समिति ने डिजिटल भुगतान ढाँचे में प्रतिस्पर्द्धा और नवोन्मेष को बढ़ावा देने के लिये एक ‘पैमेंट रेगुलेटरी बोर्ड’ (PRB) के गठन की सिफारिश की थी।
वर्तमान समय में भारत में ‘भुगतान और समाधान प्रणाली के विनियमन और पर्यवेक्षण संबंधी बोर्ड (Board for Regulation and Supervision of Payment and Settlement System: BPSS)' लागू है जो भुगतान परिस्थितियों को नजर अंदाज करता है। इसलिये सरकार ने वित्त विधेयक 2017 में BPSS के स्थान पर RBI में 6 सदस्यीय PRB के गठन का प्रस्ताव किया गया है जिसमें तीन सदस्य RBI से होंगे तथा तीन सदस्य केंद्र सरकार के।
गठन की आवश्यकताः
वर्तमान BPSS डिजिटल भुगतान की पहुँच को सीमित कर नकदी लेन-देन को बढ़ावा देता है। जैसे- यह डाटा संरक्षण के मुद्दों पर मौन है एवं भुगतान क्षेत्र में प्रतिस्पर्द्धा बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित नहीं करता।
इसके अलावा, वर्तमान BPSS भारतीय रिजर्व बैंक के केंद्रीय बॉर्ड के अधीन एक उप-समिति है जबकि PRB भारतीय रिजर्व बैंक से स्वतंत्र निकाय होगा। चूंकि भुगतान व्यवस्था (पैमेंट रिछाीम) एक अधिक तकनीक संचालित व्यावसायिक गतिविधि है अतः इसे बैंकिंग क्षेत्र से स्वतंत्र रूप में देखा जाना चाहिये।ऐसा माना गया है कि डिजिटल भुगतान को सुगम बनाने के लक्ष्य पर केंद्रित एक स्वतंत्र निकाय अगले 3 वर्षों में डिजिटल भुगतान को मौजूदा 5% से बढ़ाकर लगभग 20% तक लाएगा।
गठन के समक्ष चुनौतियाँ-
निष्कर्षः डिजिटल भुगतान हेतु एक पृथक, स्वायत एवं संगठित निकाय की आवश्यकता वर्तमान समय की मांग है एवं PRB इस दिशा में स्वागत योग्य कदम है लेकिन इसके गठन से पूर्व RBI की चिंताओं का समाधान अवश्य किया जाना चाहिये।