काला धन (Black Money) देश की अर्थव्यवस्था के लिये अत्यंत घातक है अतः काले धन की उत्पत्ति को रोकना सरकार का प्राथमिकता होनी चाहिये। काले धन की उत्पत्ति को रोकने के लिये सरकार को क्या-क्या नवोन्मेषी कदम उठाने चाहिये? अपने सुझाव दें।
उत्तर :
काला धन ऐसा धन है जो किसी भी अवैध गतिविधि द्वारा अर्जित किया जाता है। यह अपराध, ड्रग व्यापार, आतंकवाद, भ्रष्टाचार अथवा कर वंचना (tax evasion) के माध्यम से अर्जित किया जाता है।
काला धन अर्थव्यवस्था के लिये किस प्रकार घातक है-
- अर्थव्यवस्था में काले धन की अधिकता से देश में एक ‘समानांतर अर्थव्यवस्था’ (Parallel economy) सृजित हो जाती है जिसकी पहचान एवं नियमन अत्यंत मुश्किल होता है। इस प्रकार यह समानांतर अर्थव्यवस्था देश के आर्थिक विकास को चौपट कर देती है।
- काला धन भूमिगत अर्थव्यवस्था सृजित करता है जिससे राष्ट्रीय आय एवं GDP से संबंधित आँकड़ों का सही आकलन कर पाना मुश्किल हो जाता है और अर्थव्यवस्था की गलत तस्वीर प्रस्तुत होती है। इससे नीति निर्माण में सटीकता नहीं आ पाती।
- काले धन के सृजन के दौरान कर वंचना (tax evasion) होती है जिससे सरकार को राजस्व हानि होती है। परिणामस्वरूप सरकार को उच्च करारोपण एवं ‘घाटे का वितपोषण’ (deficit financing) का सहारा लेना पड़ता है जो अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुँचाता है।
- काले धन का खर्च मनोरंजन, विलासिता, भ्रष्टाचार, चुनावों के वित्त पोषण, सट्टेबाजी अथवा आपराधिक गतिविधियों में किया जाता है जिससे एक तरफ अपराध एवं भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलता है तो दूसरी तरफ उपयोग पैटर्न बिगड़ने से दुर्लभ संसाधनों का अपव्यय होता है।
काला धन सृजन रोकने के लिये सरकार को निम्नलिखित कदम उठाने चाहियें-
- आयकर विभाग को आय के एक निश्चित प्रतिशत के रूप में व्यय की सीमा भी निर्धारित करनी चाहिये ताकि इससे अधिक व्यय करने पर वह स्वयमेव जाँच के दायरे में आ जाए।
- शिक्षण संस्थाओं की कैपिटेशन फीस पर नजर रखनी चाहिये। धर्मार्थ संस्थाओं के लिये वार्षिक रिटर्न अनिवार्य बनाना, इन संस्थाओं का पंजीकरण एवं विभिन्न एजेंसियों के बीच सूचना के आदान-प्रदान की व्यवस्था होनी चाहिये।
- एक मजबूत रियल एस्टेट कानून बनाकर इस क्षेत्र में उत्पन्न होने वाले काले धन पर रोक लगाई जा सकती है। (सरकार ने एक मजबूत रियल एस्टेट रेगुलेशन एक्ट पारित कर दिया है।)
- चुनावों में काले धन का प्रयोग रोकने के लिये व्यापक कार्य योजना बनानी चाहिये क्योंकि यहाँ काला धन खपाना काफी आसान है जो काला धन के सृजन को प्रेरित करता है। राजनीतिक दलों को ‘सूचना का अधिकार’ (RTI) के दायरे में लाना चाहिये एवं इनके बही-खातों की नियमित ऑडिटिंग करनी चाहिये।
- हवाला करोबार पर अंकुश लगाना चाहिये।
- आयकर विभाग के अधिकारों एवं स्वायत्तता में वृद्धि की जानी चाहिये।
यद्यपि वर्तमान में सरकार काला धन अधिनियम, बेनामी लेनदेन (संशोधन) अधिनियम, आय घोषणा योजना, विमुद्रीकरण, प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना जैसे कदमों के माध्यम से काला धन सृजन रोकने के प्रयास कर रही है, फिर भी उपर्युक्त सुझावों पर ध्यान देकर इन प्रयासों को और गति दी जा सकती है।