भारत द्वारा सोने के आयात को कम करने के लिये प्रारंभ की गई स्वर्ण-मुद्रीकरण योजना (Gold Monetization Scheme) भारतीय जनता को उत्साहित करने में असफल ही रही है। इस असफलता के कारणों का विश्लेषण करते हुए इस योजना को अधिक आकर्षक बनाने के लिये अपने सुझाव प्रस्तुत करें।
11 May, 2017 सामान्य अध्ययन पेपर 3 अर्थव्यवस्था‘स्वर्ण मुद्रीकरण योजना’ भारत द्वारा बड़े पैमाने पर किये जाने वाले स्वर्ण-आयात को कम करने के लिये प्रारंभ की गई थी क्योंकि स्वर्ण आयात का भारत के व्यापार घाटे (Trade deficit) में काफी योगदान है। इस योजना के तहत बैंक के ग्राहक अपने बेकार पड़े सोने को ‘सावधि जमा’ के रूप में बैंक में जमा कर सकते हैं। इस पर उन्हें 2.25% से 2.50% तक ब्याज मिलता है एवं परिपक्वता अवधि के पश्चात वे इसे सोने अथवा रुपयों के रूप में प्राप्त कर सकते हैं। सरकार को आशा थी कि इस पहल से घरों एवं मंदिरों में बेकार पड़ा सोना बड़ी मात्रा में बैंकों में जमा होगा जिसे पिघलाकर जौहरियों एवं अन्य प्रयोक्ताओं को प्रदान किया जा सकेगा। इस प्रकार सोने के पुनर्चक्रण के माध्यम से सोने के आयात को घटाया जा सकेगा।
इस योजना को प्रारंभ हुए लगभग 18 महीने हो गए हैं लेकिन लोकसभा में एक प्रश्न के जवाब में सरकार ने बताया कि इस वर्ष फरवरी-मध्य तक इस योजना के तहत जमा सोने की मात्रा केवल 6.4 टन है। यह मात्रा 2016 में सोने के कुल आयात के 2% से भी कम है। एक तरफ भारत में घरों एवं मंदिरों में लगभग 20,000 टन सोना पड़ा है तो दूसरी ओर सोने का आयात भी लगातार बढ़ रहा है। भारत सोने का सबसे बड़ा आयातक है एवं भारत के व्यापार घाटे के एक चौथाई से अधिक भाग का कारण सोने का आयात है।
इस योजना की असफलता के कारण
इस योजना को आकर्षक बनाने के लिये सुझाव
स्वर्ण मुद्रीकरण योजना एक प्रगतिशील पहल है जो निवेशकों द्वारा सोने के इष्टतम उपयोग को बढ़ाने एवं देश के व्यापार घाटे को कम करने में अपना महत्त्वपूर्ण योगदान दे सकती है। अतः सरकार द्वारा सोने की तरलता एवं पूंजी लाभों को सुनिश्चित कर इस योजना की सफल बनाया जा सकता है।