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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    हाल ही में चर्चा में रही ‘फेज़ थेरेपी’ क्या है? भारत में बढ़ते ‘एंटीमाइक्रोबियल प्रतिरोध (AMR)’ की वर्तमान स्थिति का विश्लेषण करते हुए इसके संभावित समाधान सुझाएँ।

    12 May, 2017 सामान्य अध्ययन पेपर 3 अर्थव्यवस्था

    उत्तर :

    फेज़ थेरेपी एक वैकल्पिक उपचार प्रणाली है जिसमें शरीर के जीवाण्विय संक्रमण केा समाप्त करने के लिये जीवाणुभक्षी वायरस (Bacteriophages Virus) का प्रयोग किया जाता है। अतः इसे बैक्टीरियोफेज़ थेरेपी भी कहा जाता है। मल्टीड्रग रेजिस्टेंट बैक्टिरिया (Multidrug-resistant bacteria) के आविर्भाव के पश्चात फैज थेरेपी ने वैश्विक समुदाय का ध्यान खींचा है। फेज़ थेरेपी का फायदा यह है कि यह जीवाणुओं को मारकर रोगों का सटीक उपचार करने में सक्षम है।

    वर्तमान में विश्व भर में स्वास्थ्य चिंताओं में प्रमुख चिंता एंटीमाइक्रोबियल प्रतिरोध (Anti Microbial Resistance: AMR) है। AMR का अर्थ है- सूक्ष्म जीवों जैसे बैक्टिरिया, वायरस, कवक और परजीवी आदि का एंटीमाइक्रोबियल दवाओं (जैसे एंटीबायोटिक) के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता विकसित कर लेना। इन सूक्ष्म जीवों को सुपर बग कहते हैं। मल्टीड्रग रेजिस्टेंट बैक्टिरिया इसी का एक भाग है।

    भारत में एंटी माइक्रोबियल प्रतिरोध (AMR) की स्थिति-

    • पिछले वर्ष दो साल से भारत में रहने वाली एक अमेरिकी महिला की सुपरबग के संक्रमण के कारण मृत्यु हो गई थी। अमेरिकी डॉक्टरों के अनुसार यह महिला Carbapenem-Resistant-Enterobacteriaceae नामक मल्टीड्रग रेजिस्टेंट सुपरबग से संक्रमित थी।
    • हाल ही में भारत में कई ऐसे संक्रमणों को देखा गया है जिनमें से अधिकांश जानवरों से मनुष्यों में प्रसारित हुए हैं।
    • विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने अपनी ‘ग्लोबल बर्डन ऑफ डिज़ीज रिपोर्ट- 2004’ में बताया था भारत में संक्रामक बीमारियों का खतरा ब्रिटेन की तुलना में 15 गुना अधिक है।
    • INSAR (Indian Network for Surveillance of Antimicrobial Resistance) के अनुसार भारत में सुपरबग की व्यापक उपस्थिति पाई गई है जिसमें 41% तो केवल ‘मेथिसिलिन-प्रतिरोधी-स्टैफाइलोकोकस जीवाणु (MRSA)’ है।
    • AMR के कारण चिकित्सा प्रक्रियाओं, जैसे कीमोथेरेपी, अंग प्रत्यारोपण एवं सर्जरी के पश्चात स्वास्थ्य लाभ की सफलता को गंभीर खतरा पैदा हो गया है।

    संभावित समाधानः भारत में एंटी बायोटिक दवाओं की कीमतों एवं उनसे होने वाले नुकसानों के बारे में जागरूकता के अभाव के काण इनका अंधाधुंध प्रयोग होता है। इस कारण AMR  की गंभीर समस्या उत्पन्न हो गई है जिसके लिये निम्नलिखित मुद्दों पर ध्यान देना आवश्यक है-

    • सर्व प्रथम लोगों को एंटीबायोटिक दवाओं के प्रति जागरूक करना आवश्यक है ताकि वे इनका अंधाधुंध प्रयोग न करें। सभी एंटी बायोटिक दवाओं की प्राप्ति के लिये डॉक्टर के परामर्श-पत्र को दिखाना अनिवार्य किया जाए।
    • किसी भी प्रकार के AMR संक्रमण की स्थिति में रोगी को उपयुक्त आहार देना चाहिये तथा दवा की उचित मात्रा एवं उपयुक्त अवधि के माध्यम चिकित्सा प्रबंधन किया जाना चाहिये।
    • इस प्रकार के संक्रमण की चिकित्सा के लिये एक बहुविषयक टीम का गठन किया जाए जिसमें संक्रामक रोग चिकित्सक, क्लिनिकल फार्मासिस्ट, सूक्ष्म रोग विज्ञानी, संक्रमण नियंत्रक दल आदि शामिल हों।

    इस प्रकार, संगठित एवं समग्र प्रयासों से ही इस समस्या से निपटा जा सकता है अन्यथा यह देश की स्वास्थ्य ढाँचे पर गंभीर प्रभाव डाल सकता है।

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