अर्थव्यवस्था पर दूरसंचार कंपनियों के मूल्य निर्धारण युद्ध (प्राइसिंग वार) के प्रभाव की चर्चा करें। क्या यह ‘प्रिज़नर्स डिलेमा’ का एक उदाहरण है?
उत्तर :
भूमिका में :-
प्राइस वार को स्पष्ट करें, इसमें व्यक्तिगत या संस्थागत स्तर पर मूल्यों में कमी कर लाभ अर्जित करने के प्रयास को बताते हुए वर्तमान में भारतीय टेलिकॉम क्षेत्र में प्राइस वार की स्थिति को स्पष्ट करें।
विषय-वस्तु में :-
भूमिका से लिंक रखते हुए प्रथम पैराग्राफ में अर्थव्यवस्था पर प्राइस वार के सकारात्मक एवं नकारात्मक दोनों प्रभावों की चर्चा निम्न प्रकार से करें-
सकारात्मक प्रभाव -
- प्राइस वार से सूचना एवं संचार तकनीकी से जुड़ी सेवाओं के मूल्यों में कमी होती है जिससे उपभोक्ताओं को सस्ती सेवा की सुलभता सुनिश्चित हो पाती है।
- सेवाओं की सस्ती दर पर सुलभता सुनिश्चित हो पाने से अर्थव्यवस्था के अहम क्षेत्रों यथा- कृषि, शिक्षा, स्वास्थ्य व चिकित्सा इत्यादि को फायदा पहुँचता है।
- इससे डिजिटलीकरण को बढ़ावा मिलता है जिससे शासन एवं प्रशासन के विभिन्न स्तरों पर पारदर्शिता को प्रोत्साहित करने एवं ग्रामीण तथा शहरी क्षेत्रों के बीच डिजिटल डिवाइड जैसी चुनौतियों का समाधान करने में मदद मिलती है और अर्थव्यवथा का चहुँमुखी विकास हो पाता है इत्यादि।
नकारात्मक प्रभाव -
- प्राइस वार का स्टार्टअप्स पर विपरीत असर होता है जो प्रभावशाली टेलिकॉम कंपनियों की नीतियों के आगे घुटने टेकने के लिये बाध्य होते हैं। इससे भविष्य में एकाधिकार एवं व्यावसायिक समूहन जैसी प्रवृत्तियों को बल मिलता है।
- प्राइस वार दीर्घकालिक रूप से सही नहीं है क्योंकि इस स्थिति में शिशु अवस्था में रहने वाली कंपनियों के पतन या उनका समुचित विकास न हो पाने के कारण ग्राहक दीर्घकालीन लाभों से वंचित रह जाते हैं।
- प्राइस वार में कुछ प्रभावशाली कंपनियों का दबदबा होता है जो न केवल उभरती हुई कंपनियों का गला घोटने का कार्य करती हैं बल्कि व्यावसायिक समूहन के द्वारा सेवाओं के मूल्यों को प्रभावित भी करती हैं साथ ही, ये प्रतिस्पर्द्धा के अभाव में सेवाओं की गुणवत्ता से समझौता भी करती हैं।
प्रश्न का दूसरा भाग चूँकि आपके विचारों से संबंधित है अतः -
दूसरे पैराग्राफ में एक बार फिर भूमिका से जोड़ते हुए प्रिज़नर्स डिलेमा की स्थिति को स्पष्ट करें। इसमें एक पक्ष द्वारा समन्वय और सहयोग की बजाए अपने हितों को ध्यान में रखकर मूल्यों को निम्न रखने का प्रयास किये जाने के बारे में बताते हुए भारतीय टेलिकॉम क्षेत्र में प्राईस वार को प्रिज़नर्स डिलेमा का उदाहरण होने या न होने के संबंध में तर्क दीजिये।
अंत में प्रश्नानुसार संक्षिप्त, संतुलित एवं सारगर्भित निष्कर्ष प्रस्तुत करें।
नोट : निर्धारित शब्द-सीमा में विश्लेषित करके लिखें।