पिछले कुछ वर्षों में शहरों में बाढ़ के बढ़ते मामलों को देखते हुए केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय ने सार्वजनिक विभागों एवं सरकारों के लिये ‘शहरी बाढ़-मानक संचालन प्रक्रियाएँ’ (Urban Flooding-Standard Operating Procedure : SOP) नामक दिशा-निर्देश जारी किये। इन निर्देशों का विस्तृत वर्णन करें।
उत्तर :
पिछले कुछ वर्षों में शहरी बाढ़ की कई चरम घटनाएँ देखी गई है जिनमें मुंबई (2005), सूरत (2006), श्रीनगर (2014), चेन्नई (2015) की बाढ़ प्रमुख हैं। तीव्र गति से होने वाले शहरीकरण के परिणामस्वरूप शहरों में अनियोजित विकास एवं अतिक्रमण बढ़ा जिससे शहरी बाढ़ की घटनाओं में वृद्धि हुई। केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय ने एक पत्र प्रकाशित कर शहरी सार्वजनिक विभागों एवं सरकारों के लिये ‘शहरी बाढ़़-मानक संचालन प्रक्रियाएँ’ (SOP) नामक दिशा निर्देश जारी किये जिसमें तैयारी, प्रारंभिक चेतावनी, प्रतिक्रिया एवं राहत बहाली पुनर्वास आदि विभिन्न चरणों के लिये मार्गदर्शन है। प्रमुख विभागों के लिये SOP निम्नलिखित हैं-
1. शहरी स्थानिय निकायों (ULBs) एवं विकास प्राधिकरणों के लिये-
- ULBs को आपातकालीन ऑपरेशन केंद्र संकट नियंत्रण कक्ष एक सूचना केंद्र स्थापित करने चाहिये।
- शहरी बुनियादी ढाँचे का उचित रख-रखाव एवं मरम्मत का कार्य ULBs के नियंत्रण में है अतः बाढ़ के समय भराव क्षेत्र से पानी को निकालना, निचले इलाकों की पहचान करना, सड़कों एवं नालियों की मरम्मत करना आदि कार्य समयबद्ध तरीके से होने चाहिये।
- प्रतिक्रिया चरण में प्रभावित व्यक्तियों का परिवहन, स्थानांतरण, पुनर्वास, अस्थायी आवासों एवं भोजन-पानी की आपूति; घायलों को अस्पतालों एवं स्वास्थ्य शिविरों में स्थानांतरण, लाशों का निपटान आदि के साथ-साथ अग्निशमन दल, पुलिस विभाग, स्वास्थ्य विभाग आदि के समन्वय का कार्य भी ULBs का है।
2. स्वास्थ्य विभागों की भूमिका-
- प्रारंभिक चरण में महामारी की रोकथाम के लिये एक आपातकालीन स्वास्थ्य संकर प्रबंधन योजना तैयार करनी चाहिये। इसमें महामारी नियंत्रण इकाई की स्थापना, दवा, उपकरण एवं रक्त के आपातकालीन स्टॉक रखना आदि शामिल है।
- पर्याप्त संख्या में एंबुलेंस एवं मोबाइल डिस्पेंसरी रखनी चाहिये तथा टीकाकरण एवं किटाणुशोधन ड्राइव भी शुरू करना चाहिये।
- आपदा एवं पुनर्वास क्षेत्रों पर स्वास्थ्य सुविधा एवं उपचार केंद्र स्थापित करने चाहिये।
3. PWD (Public Works Department) की भूमिका-
- PWD को समय-समय पर नालियों की मरम्मत करनी चाहिये एवं ड्रेनेज मास्टर प्लान को अद्यतन (update) करना चाहिये।
- बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में जल के अधिक प्रवाह से निपटने के लिये जल निकासी व्यवस्था को नया रूप देना चाहिये।
- PWD को सुरक्षित मार्गों की पहचान के लिये एक आपदा प्रतिक्रिया नक्शा तैयार करना चाहिये।
- PWD को सभी जीर्ण इमारतों की एक सूची बनानी चाहिये तथा एवं ऐसी इमारतों की मरम्मत करवाने का उत्तरदायित्व लेना चाहिये।
4. विद्युत विभाग एवं दूरसंचार विभाग की भूमिका-
- विद्युत विभाग को उच्च जोखिम वाले विद्युत प्रतिष्ठानों के आस-पास संवेदनशील स्थलों की पहचान करनी चाहिये तथा ट्रांसफॉर्मरों एवं सब-स्टेशनों को बाढ़ के दौरान संभावित जल स्तर से ऊपर स्थापित करना चाहिये।
- बाढ़ के दौरान बनाए गए अस्थायी आवासों के लिये आपात विद्युत आपूर्ति लाइनें उपलब्ध करानी चाहिये।
- संवेदनशील बाढ़ क्षेत्रों में पोर्टेबल संचार प्रणाली उपलब्ध करानी चाहिये एवं आपातकालीन कार्यों में संलग्न अधिकारियों एवं एजेंसियों के लिये अस्थायी संचार सुविधा स्थापित करनी चाहिये।
5. पुलिस एवं अग्निशमन विभाग की भूमिका-
- पुलिस को कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिये आपात योजना बनानी चाहिये। इसे भीड़ को प्रबंधित करना, संपत्ति की सुरक्षा सुनिश्चित करना, राहत सामग्री के वितरण की सुरक्षा आदि के लिये तैयार रहना चाहिये।
- अग्निशमन विभाग को बचाव नौकाओं की मरम्मत, सहायक उपकरणों के उपयोग के लिये अपने कर्मियों को प्रशिक्षण देकर तैयार रखना चाहिये।
इस प्रकार, एक पूर्व निर्धारित रणनीति एवं समन्वित प्रयासों से शहरी बाढ़ की बारंबार होने वाली घटनाओं से निपटा जा सकता है।