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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    प्राकृतिक अवसंरचना (National Infrastructure) क्या है? प्राकृतिक अवसंरचना के बहुआयामी उपयोग की सोदाहरण चर्चा करते हुए इससे समाज को होने वाले लाभों का उल्लेख करें। साथ ही यह भी बताएँ कि प्राकृतिक अवसंरचना के विकास का सतत विकास लक्ष्यों के संदर्भ में क्या महत्त्व है?

    22 May, 2017 सामान्य अध्ययन पेपर 3 अर्थव्यवस्था

    उत्तर :

    प्राकृतिक अवसंरचना अथवा हरित अवसंरचना नियोजित एवं व्यवस्थित प्राकृतिक एवं अर्द्ध-प्राकृतिक प्रणालियाँ हैं, जो पारंपरिक अथवा मानवजनित अवसंरचनाओं की कार्यक्षमता को लाभ पहुँचा सकती हैं अथवा इन्हें प्रतिस्थापित भी कर सकती हैं। इसके अंतर्गत वन क्षेत्र, कृषि भूमि, ज्वारनद मुख (estuaries), तटीय क्षेत्र, आर्द्रभूमियाँ आदि को सम्मिलित किया जाता है। इन तंत्रों में मैंग्रोव द्वारा तटीय सुरक्षा, प्रवाल भित्तियों द्वारा तटीय पारिस्थितिकी तंत्र की समृद्धि, वनीकरण द्वारा कार्बन अभिग्रहण आर्द्रभूमियों द्वारा जल गुणवत्ता नियमन, फाइटो-रिमेडिएशन के माध्यम से दूषित-भूमि एवं जल की गुणवत्ता में सुधार किया जा सकता है।

    प्राकृतिक अवसंरचनाओं के बहुआयामी उपयोग-

    • स्थानीय स्तर पर प्राकृतिक अवसंरचनाओं में पेड़, जल संग्रहण प्रणालियाँ आदि शामिल हैं इनमें हरित-छतों (green roofs), वर्षा उद्यानों बायो स्वैल (bio-swale) आदि का प्रयोग शहरों एवं औद्योगिक पार्कों में किया जा सकता है ताकि वर्षा के दौरान तीव्र जल निकासी (Storm-Water) की गति को कम किया जा सके। वर्षा उद्यानों (rain-gardens) में एक गड्ढा में वर्षा जल का अभिग्रहण कर लिया जाता है जिससे तीव्र वर्षा के समय जल प्रवाह की गति कम हो जाए एवं मृदा अपरदन एवं बाढ़ से बचाव हो सके। ‘बायो स्वैल’ सड़क किनारे बनी कच्ची नालियाँ होती हैं जिनमें सड़क से पानी आकर भूमि में उतरता है।
    • आर्द्रभूमियों का प्रयोग औद्योगिक प्रसंस्कृत जल एवं प्रदूषित जल के उपचार के लिये किया जा सकता है एवं पारंपरिक अपशिष्ट जल उपचार अवसंरचना को प्रतिस्थापित किया जा सकता है।
    • ऑयस्टर-रीफ एवं सागरीय घास संस्तर तटीय क्षेत्रों की तुफान से सुरक्षा कर सकते हैं, तटीय अपरदन को हटा सकते हैं एवं दूषित समुद्री जल का शोधन कर स्थानीय मत्स्य पालन को बढ़ा दे सकते हैं।

    अतः प्राकृतिक संसाधनों का मापन एवं मूल्यांकन करना आवश्यक है ताकि नीति निर्माण एवं निर्णय लेने के दौरान उनके वास्तविक मूल्य का निर्धारण किया जा सके। उदाहरण के लिये एक जल-विद्युत कंपनी की वन के जलाशय पर निर्भरता है लेकिन वनों की कटाई से जल में अवसाद की मात्रा बढ़ने के कारण उस कंपनी के टरबाइन की परिचालन एवं मरम्मत की लागत में वृद्धि हो सकती है।

    प्राकृतिक अवसंरचना से समाज को लाभ-

    • एक सुव्यवस्थित वन क्षेत्र पीने, कृषि, ऊर्जा उत्पादन के लिये जल प्रदान कर सकता है यह कार्बन अभिग्रहण कर प्रदूषण को कम कर सकता है एवं मनोरंजन एवं पर्यटन के अवसर प्रदान कर सकता है। यह जैव विविधता की बढ़ा सकता है एवं तुफान का प्रभाव कम कर सकता है।
    • प्राकृतिक अवसंरचना के माध्यम से जल प्रदूषण में कमी लाई जा सकती है जिससे वर्तमान में प्रयुक्त पारंपरिक जल उपचार संयंत्र के माध्यम से होने वाले जल उपचार की लागत में कमी लाई जा सकती है।
    • प्राकृतिक अवसंरचनाओं की स्थापना के लिये काफी कम प्रारंभिक लागत एवं पूंजी निवेश की आवश्यकता होती है तथा परिचालन एवं रख-रखाव लागत भी कम होती है। इसके अलावा, सामान्यतः इनके निरीक्षण की भी आवश्यकता नहीं होती।
    • यदि प्राकृतिक अवसंरचना में निवेश में वृद्धि होगी तो इनसे संबंधित कौशल की मांग बढ़ेगी, जिसके परिणामस्वरूप नए रोजगार सृजित होंगे।
    • प्राकृतिक अवसंरचना प्राकृतिक संसाधन आधारित उद्योगों में भी योगदान कर सकती है, जैसे-वाणिज्यिक मत्स्य पालन।
    • प्राकृतिक अवसंरचना जहाँ वायु एवं ध्वनि प्रदूषण का नियंत्रण कर सकती है वहीं प्राकृतिक परिदृश्य की सुंदरता बढ़ाकर पर्यटन को बढ़ावा दे सकती है।

    प्राकृतिक अवसंरचना का सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) के संदर्भ में महत्त्व

    • प्राकृतिक अवसंरचना में निवेश करने से  SDG-6 (स्वच्छ पानी), SDG-9 (अनुकूल अवसंरचना), SDG-13 (भूमि पर जीवन) आदि लक्ष्यों को हासिल करने की दिशा में कदम बढ़ाया जा सकता है। इसके अलावा आपदा जोखिम को भी कम किया जा सकता है जिसे ‘आपदा जोखिम न्यूनीकरण के लिये ‘सेंडई फ्रेमवर्क’ में लक्षित किया गया है।
    • वैश्विक आधारभूत ढाँचे में वार्षिक खर्च अरबों डॉलर का है। इसके एक छोटे भाग का निवेश भी यदि प्राकृतिक अवसंरचना में खर्च किया जाए तो संधारणीय आधारभूत ढाँचे की स्थापना की जा सकती है।

    इस प्रकार, विकास के सभी क्षेत्रों और हितधारकों के एकीकरण की आवश्यकता है ताकि एक समन्वित नीति का निर्माण किया जा सके। प्राकृतिक अवसंरचना सतत विकास सुनिश्चित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकती है, विशेषकर जब तीव्र शहरीकरण एवं औद्योगिकीकरण के कारण पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन संबंधी चिंताएँ व्याप्त हैं।

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