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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    भारत सरकार ने पंचवर्षीय योनाओं के युग से निकलकर नीति आयोग के तत्वाधान में बने ‘तीन वर्षीय एजेंडा’ (Three Year Action Agenda) के नए युग में प्रवेश किया है। इस स्थानांतरण के क्या लाभ होंगे? स्पष्ट कीजिये।A

    23 May, 2017 सामान्य अध्ययन पेपर 3 अर्थव्यवस्था

    उत्तर :

    भारत सरकार ने 12वीं पंचवर्षीय योजना की समाप्ति के पश्चात ‘पंद्रह वर्षीय विजन, सात वर्षीय रणनीति एवं तीन वर्षीय एक्शन एजेंडा’ पद्धति लागू करने का फैसला किया है। वैश्विक अर्थव्यवस्था की नई आवश्कताओं को देखते हुए विकास प्रक्रिया के लिये प्रयुक्त साधनों एवं दृष्टिकोण पर पुनर्विचार की आवश्यकता थी।

    NITI आयोग की गवर्निंग काउंसिल जो ‘तीन वर्षीय एक्शन एजेंडा’ की समीक्षा कर रही है, में सभी मुख्यमंत्रियों को शामिल किया गया है, अतः इसमें पूर्ववर्ती राष्ट्रीय विकास परिषद की छाया दिखाई देती है। यह एजेंडा भारतीय अर्थव्यवस्था के कई पहलुओं को समाहित कर ठोस कार्रवाई के माध्यम से ‘भारत और इसकी जनता के सर्वांगीण विकास की प्राप्ति के लिये एक मार्ग’ पर ले जाना चाहता है।

    त्रिवर्षीय एजेंडे के लाभ-

    • भारत में लोकतांत्रिक चक्र को देखते हुए पंचवर्षीय योजनाओं में सरकार की जवाबदेहिता अस्पष्ट होती थी। चूँकि लोकसभा के चुनावी चक्र का पंचवर्षीय योजनाओं के समय के साथ तालमेल नहीं या अतः इस योजना के लिये पूर्ववर्ती सरकार के कार्यकाल के दौरान किये गए कार्यों का जवाब भी अगली सरकार को देना पड़ता था। किंतु, तीन वर्षीय एक्शन एजेंडा सरकार के पाँच वर्षीय कार्यकाल के दौरान पूरा हो जाएगा अतः उसके कार्यान्वयन के लिये वह सरकार सीधे तौर पर जवाबदेह होगी।
    • यह सरकार को अपने कार्यकाल के दौरान सुधार और अनुकूलन की बेहतर संभावनाएँ प्रदान करता है। चूँकि इसके साथ सात वर्षीय रणनीति और 15 वर्षीय विजन अपनाया गया, जो बदलते समय एवं बाह्य परिवर्तनों के प्रति अनुकूलन को आसान बनाता है। यथा- यह हमें प्रौद्योगिकी विकास एवं पारिस्थितिकी के अनुरूप नीतियाँ बनाने में सक्षम बनाता है।
    • इस 15 वर्षीय विजन की समयावधि कुछ हद तक संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) की अवधि के भी समानांतर चलेगी। अतः नया प्रारूप घरेलू आकांक्षाओं को वैश्विक लक्ष्यों के साथ जोड़ता है।
    • नीति आयोग की गवर्निंग काउंसिल में राज्यों के मुख्यमंत्री भी शामिल हैं अतः यह ‘सहकारी संघवाद’ को भी बढ़ावा देगा।

    इस प्रकार, इन नए लक्ष्यों की प्राप्ति के लिये एक समन्वित रणनीति आवश्यक थी एवं इनके कार्यान्वयन के लिये राज्यों को भी समन्वित एवं सक्रिय भूमिका निभानी होगी ताकि भारत का रूपांतरण बेहतर भारत में हो सके।

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