उच्च शिक्षा के क्षेत्र में विश्व में तीसरा स्थान होने के बावजूद भारत में उच्च शिक्षा व शोध की स्थिति संतोषजनक नहीं है, इसके कारणों की पड़ताल करें तथा यह बताएं कि किसी राष्ट्र की प्रगति सुनिश्चित करने में एक आदर्श शिक्षा प्रणाली का क्या महत्त्व है?
उत्तर :
उत्तर की रूपरेखा:
- भारत में उच्च शिक्षा की स्थिति।
- क्या कारण है कि उच्च शिक्षा के क्षेत्र में भारत की स्थिति विश्व में निम्न है।
- राष्ट्र की प्रगति में उच्च शिक्षा कैसे सशक्त भूमिका निभा सकती है।
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मैनेजमेंट गुरु पीटर ड्रकर ने वर्षों पहले यह कहा था कि ‘आने वाले दिनों में ज्ञानवान समाज दुनिया के किसी भी समाज से ज़्यादा प्रतिस्पर्धात्मक समाज बन जाएगा। दुनिया में गरीब देश शायद समाप्त हो जाए लेकिन किसी भी देश की समृद्धि का स्तर इस बात से आंका जाएगा कि वहाँ की शिक्षा का स्तर क्या है।’
संख्या की दृष्टि से भारत की उच्चतर शिक्षा व्यवस्था अमेरिका व चीन के बाद तीसरे नंबर पर आती है किंतु बात जब गुणवत्ता की हो तो हमारे शिक्षा संस्था दुनिया के शीर्ष 200 विश्वविद्यालयों में भी जगह नहीं बना पाते। 2011 की जनगणना के आंकड़े बताते हैं कि देश की कुल आबादी का 8.15% लोग स्नातक है; किंतु डिग्री के अनुपात में ज्ञान तथा कौशल में पिछड़े हुए हैं।
आंकड़े बताते हैं कि-
- भारत में नौ छात्रों में से एक ही कॉलेज पहुँच पाता है। भारत में उच्च शिक्षा के लिये रजिस्ट्रेशन कराने वाले छात्रों का अनुपात दुनिया में सबसे कम है।
- एक शोध के अनुसार मानविकी में 10 में से एक और इंजीनियरिंग में डिग्री ले चुके चार में से एक भारतीय छात्र ही नौकरी पाने योग्य हैं।
- राष्ट्रीय मूल्यांकन और प्रत्यायन परिषद् का शोध दावा करता है कि भारत के 90% कॉलेजों और 70 फीसदी विश्वविद्यालयों का स्तर बहुत कमज़ोर है।
- विभिन्न रिपोर्ट्स बताती हैं कि असली समस्या मूलभूत सुविधायें मुहैया कराने तथा शिक्षा की गिरती गुणवत्ता है।
किसी भी राष्ट्र की प्रगति की सुनिश्चित करने में उच्च शिक्षा प्रणाली का महत्त्व निम्नलिखित प्रकार से है-
- गुणवत्तापूर्ण उच्च शिक्षा न केवल युवाओं को तकनीकी रूप से दक्ष बनाती है अपितु नैतिक रूप से भी सशक्त नागरिक बनाती है।
- यह नवाचारी विचारों के लिये प्रोत्साहित करती है। जो कि देश की प्रगति का महत्त्वपूर्ण कारक है।
- वर्तमान में सूचना और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारत एक अलग पहचान बनाने में सक्षम हुआ है तो इसमें नवाचारी विचारों का ही योगदान है।
- बेहतर आयुर्वेदिक चिकित्सा क्षेत्र में प्रगति न सिर्फ वर्तमान में चिकित्सकों की कमी दूर करेगा, अपितु मेडिकल टूरिज्म में भी नए अवसर मिलेंगे।
- बेहतर शिक्षा, शोध व नवाचार देश की रक्षा तकनीकी के क्षेत्र में विकास के साथ भारत की विदेशों पर निर्भरता को भी कम करेगा।