भारतीय अर्थव्यवस्था की विकास दर में आई गिरावट के लिये विमुद्रीकरण को किस हद तक उत्तरदायी ठहराया जा सकता है? साथ ही, सरकार द्वारा हाल ही में अर्थव्यवस्था की स्थिति में सुधार हेतु किये गए प्रयासों का भी उल्लेख करें।
12 Jun, 2017 सामान्य अध्ययन पेपर 3 अर्थव्यवस्थाहाल ही में केंद्रीय सांख्यिकी संगठन (CSO) द्वारा जारी आँकड़ों के अनुसार वित्त-वर्ष 2016-17 की चौथी तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर घटकर 6.1 फीसदी पर आ गई है, जबकि इसका 7.1 फीसदी अनुमान किया गया था। इस गिरावट का कारण विमुद्रीकरण बताने के पीछे निम्नलिखित तर्क दिये जा रहे हैं-
परंतु, गौर करने की बात यह है कि विकास दर वर्ष 2016-17 की प्रत्येक तिमाही में पूर्व की तिमाही से कम रही है। यही विमुद्रीकरण से पूर्व की स्थिति थी। इसीलिये विमुद्रीकरण के अतिरिक्त विकास दर में गिरावट के उत्तरदायी अन्य कारकों का भी पता लगाना जरूरी है। जैसेः कुछ समय से ‘ग्रॉस फिक्स्ड कैपिटल फॉर्मेशन (GFCF)’ की दर में लगातार गिरावट देखी गई है। यह जहाँ वर्ष 2015-16 में जीडीपी का 30.9 फीसदी थी, वहीं वर्ष 2016-17 में घटकर 29.5 फीसदी हो गई।
अतः यह कहना कुछ हद तक सही है कि विमुद्रीकरण के कारण कुछ क्षेत्रों की विकास दर में कुछ गिरावट आई है परंतु इसके अतिरिक्त भी वृद्धि दर कम होने के लिये अन्य कई कारक जिम्मेदार हैं। यह सही है कि अर्थव्यवस्था में गिरावट देखी गई है परंतु विमुद्रीकरण ने लोगों की मानसिकता व व्यवहार को बदला है तथा डिजिटल आधारित भुगतान प्रणाली के लिये प्रोत्साहित किया है, जिसका लाभ भविष्य में अवश्य मिलेगा।
सरकार द्वारा अर्थव्यवस्था की स्थिति सुधारने के लिये हाल ही में किये गए प्रयास-