कागज उद्योग (Paper Industry) का महत्त्व बताते हुए भारत में इस उद्योग के विकास के समक्ष आने वाली चुनौतियों का उल्लेख करें। कागज उद्योग को प्रोत्साहित करने के लिये भारत सरकार के प्रयासों का बिंदुवार वर्णन करें।
उत्तर :
कागज उद्योग एक मूलभूत उद्योग है जो मानव की आधारभूत आवश्यकताओं से जुड़ा है। कागज शिक्षा एवं साक्षरता के लिये पूर्व शर्त है तथा इनके माध्यम से यह समाज के संपूर्ण कल्याण के लिये उपयोगी है। इसलिये इसे ‘सफेद सोना’ भी कहा जाता है।
कागज उद्योग का महत्त्व
- यह उद्योग बड़ी संख्या में रोजगार प्रदान करता है। भारत में लगभग 1 मिलियन लोग इस उद्योग से रोजगार प्राप्त करते हैं।
- कागज उद्योग तेजी से उभरता हुआ उद्योग है जिसका प्रयोग न केवल लेखन एवं मुद्रण के लिये किया जाता है बल्कि उपभोक्ता वस्तुओं से लेकर औषधियों तक के पैकेजिंग प्रयोजनों के लिये भी किया जाता है।
- कागज ‘बायोडिग्रेडेबल’ है एवं इसके ‘पुनर्चक्रण’ द्वारा इसका विभिन्न प्रयोजनों के लिये प्रयोग किया जा सकता है, अतः यह प्लास्टिक एवं टिन जैसे पैकेजिंग पदार्थों की बजाय अधिक धारणीय है।
कागज उद्योग के समक्ष चुनौतियाँ
- भारत में कृषि वानिकी के कम प्रचलन के कारण इस उद्योग में प्रयुक्त होने वाले कच्चे माल, जैसे- कागज की लुग्दी का अभाव है।
- भारत का कागज उद्योग अधिकांशतः कम गुणवत्ता के कागज एवं पुनर्चक्रित कागजों के आयात पर निर्भर है क्योंकि विकसित देशों की तुलना में भारत में कागज के पुनर्चक्रण की दर काफी कम है। इसके अलावा, संयुक्त राज्य अमेरिका में लुग्दी निर्माण उद्योग को मिलने वाली सब्सिडी में कमी के कारण भारत के लिये लुग्दी आयात महंगा हो गया है।
- नवीन प्रौद्योगिकियों के विकास के कारण कंप्यूटर एवं दूरसंचार तकनीकों ने कागज के उपयोग को प्रतिस्थापित कर दिया है।
- भारत में श्रम सस्ता है लेकिन श्रम उत्पादकता एवं गुणवत्ता कम होने के कारण लागत में वृद्धि हो जाती है। अतः भारत चीन जेसे देशों से प्रतिस्पर्द्धा नहीं कर पाता।
- लुग्दी और कागज उद्योग में कई प्रदूषणकारी तत्त्व उत्पन्न होते हैं अतः कार्बन फुटप्रिंट के संदर्भ में औद्योगिक वर्गीकरण में इस उद्योग को ‘लाल श्रेणी’ में रखा गया है।
कागज उद्योग को प्रोत्साहित करने के लिये सरकार के प्रयास
- सरकार ने कागज उद्योग में अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिये सहारनपुर में ‘केंद्रीय लुग्दी एवं कागज अनुसंधान संस्थान’ (CPPRI) की स्थापना की।
- कागज उद्योग की स्थापना के लिये लाइसेंस की अनिवार्यता को समाप्त किया तथा इस उद्योग में 100% प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) की अनुमति दी गई। हाल ही में सरकार ने प्रिंट मीडिया, जो कि प्रमुख कागज उपयोगकर्ता क्षेत्र है, में भी FDI की सीमा को बढ़ाकर 49% कर दिया।
- सरकार वर्ष 2014 में ‘राष्ट्रीय कृषि वानिकी’ नीति लाई जिसका एक प्रयोजन कागज उद्योग के लिये कच्चे माल की उपलब्धता सुनिश्चित करना भी है।
इस प्रकार भारत को अपनी कागज निर्माण क्षमता में वृद्धि करने के लिये कच्चे माल की आपूर्ति सुनिश्चित करने, श्रम की उत्पादकता बढ़ाने एवं नवीन एवं पर्यावरण अनुकूल कागज पुनर्चक्रण प्रौद्योगिकी का उपयोग करने की आवश्यकता है।