संयुक्त राष्ट्र हैबिटेट-III सम्मेलन में अपनाए गए ‘नया शहरी एजेंडा’ (New Urban Agenda) के प्रमुख घटकों का उल्लेख करते हुए इस एजेंडा की भारत के लिये प्रासंगिकता की विवेचना करें।
उत्तर :
इक्वाडोर के क्यूटो में अक्टूबर, 2016 में आयोजित ‘आवास एवं टिकाऊ शहरी विकास पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (हैबिटेट-III)’ में ‘नया शहरी एजेंडा’ को अपनाया गया। यह संयुक्त राष्ट्र हैबिटेट सम्मेलन प्रत्येक बीस वर्ष में आयोजित किया जाता है, जो इससे पहले वैंकूवर (1976) और इस्तांबूल (1996) में आयोजित किया गया था।
‘नया शहरी एजेंडा’ शहरीकरण की बढ़ती चुनौतियों से निपटने के लिये एक 175 प्रतिबद्धताओं का सेट है जो 20 वर्षों के संधारणीय शहरीकरण के लिये वैश्विक दृष्टिकोण निर्धारित करता है। इसके प्रमुख घटक निम्नलिखित हैं-
- आधारभूत सेवाएँः सभी नागरिकों के लिये आधारभूत सेवाएँ प्रदान करना जैसे-आवास, सुरक्षित पेयजल, स्वच्छता, पौष्टिक भोजन, स्वास्थ्य एवं शिक्षा।
- समान अवसरः नया शहरी विकास एजेंडा सभी नागरिकों को बिना भेदभाव के समान अवसर की प्राप्ति सुनिश्चित करता है। यह महिलाओं, बच्चों, वृद्धों, विकलांगों, वंचितों, नृजातीय वर्गों आदि सभी की आवश्यकताओं पर ध्यान देने का निर्देश देता है।
- जलवायु परिवर्तनः यह एजेंडा ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन कम कर जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिये कार्रवाई करता है। इस संबंध में यह स्थानीय सरकारों और समाजों को पेरिस समझौते की प्रतिबद्धताओं का अनुसरण करने का निर्देश देता है।
- स्वच्छताः यह एजेंडा स्वच्छ ऊर्जा का प्रयोग बढ़ाने, बेहतर और अधिक हरित परिवहन व्यवस्था के विकास, संसाधनों के संधारणीय उपयोग को बढ़ावा देने के लिये प्रतिबद्धता जाहिर करता है।
- जोखिम और आपदाओं का प्रभाव कम करने के लिये बेहतर शहरी नियोजन एवं गुणवत्तावूर्ण आधारभूत ढांचा विकास को प्रोत्साहित करता है।
इस प्रकार यह ‘नया शहरी एजेंडा’ ऐसे शहरों के निर्माण के लिये रोडमैप तैयार करता है जो पर्यावरण की रक्षा करते हुए विकास को बढ़ावा देकर सामाजिक कल्याण के केंद्र के रूप में कार्य कर सकें।
‘नया शहरी एजेंडा’ की भारत के लिये प्रासंगिकता-
- भारत भी यू.एन हैबिटेट का हस्ताक्षरकर्त्ता देश है। भारत के लिये यह एजेंडा निम्न कारणों से महत्त्वपूर्ण है-
- भारत में शहरीकरण की वर्तमान प्रवृत्ति को देखते हुए भविष्य में शहरी आबादी में तीव्र वृद्धि की संभावना है। इससे भरतीय शहरों को भीड़-भाड़ और प्रदूषण में वृद्धि तथा आधारभूत ढांचा पर अधिक दबाव की समस्याओं का सामना करना पड़ेगा।
- भारत के अधिकांश शहर अनियोजित अथवा अर्द्धनियोजित है जिससे उपर्युक्त समस्याओं के बढ़ने की संभावना और अधिक रहती है।
- इस एजेंडा के दृष्टिकोण के माध्यम से भारत के स्मार्ट सिटी, अमृत (AMRUT), ‘सबको आवास योजना’ जैसी सरकारी पहलों को एकीकृत किया जा सकता है।
निकर्ष्षः
यूएन हैबिटेट के उद्देश्यों को पूरा करने के लिये सभी देशों को अपनी प्रतिबद्धताओं को निभाकर एकीकृत नियोजन एवं स्थानीय सरकारों के मध्य सहयोग के माध्यम से वास योग्य एवं संधारणीय शहरों का निर्माण सुनिश्चित करना चाहिए।