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आप एक प्रतिष्ठित सरकारी विश्वविद्यालय में प्रवेश निदेशक हैं। प्रवेश प्रक्रिया चल रही है जिसमें सख्त योग्यता-आधारित मानदंड लागू किये गए हैं। अंतिम चयन से कुछ दिन पूर्व, आपको राज्य सरकार के एक वरिष्ठ लोक सेवा अधिकारी का फोन आता है, जो अपने बेटे के लिये (जो कट-ऑफ अंकों को पूरा नहीं करता है) प्रवेश का अनुरोध करता है। वह इस बात पर बल देता है कि विश्वविद्यालय के विस्तार परियोजनाओं के लिये सरकारी अनुदान प्राप्त करने में उसका समर्थन महत्त्वपूर्ण रहा है।
साथ ही, कुलपति (VC) आपको एक निजी बैठक में सूचित करते हैं कि विश्वविद्यालय का वित्तपोषण एक महत्त्वपूर्ण मोड़ पर है और अधिकारी की सद्भावना भविष्य के अनुदान को सुरक्षित करने में मदद कर सकती है। कुलपति सुझाव देते हैं कि आप विश्वविद्यालय में उक्त छात्र के प्रवेश को समायोजित करने के लिये ‘विवेकाधीन कोटा’ का पता लगाएं।
इस बीच, प्रवेश समिति का कनिष्ठ संकाय सदस्य प्रवेश सूची में अंतिम समय में किये गए असामान्य परिवर्तनों के बारे में निजी तौर पर आपके समक्ष चिंता व्यक्त करता है तथा संभावित बाह्य हस्तक्षेप की ओर संकेत करता है। आप निष्पक्षता बनाए रखने के अपने कर्त्तव्य और विश्वविद्यालय के वित्तीय स्थिरता को बनाए रखने की व्यावहारिक चुनौतियों के बीच दुविधा में हैं।
प्रश्न
1. इस मामले में शामिल नैतिक मुद्दों का अभिनिर्धारण कीजिये और उनका विश्लेषण कीजिये।
2. प्रवेश निदेशक के रूप में आपके लिये उपलब्ध संभावित कार्यवाही के तरीकों का परीक्षण कीजिये। प्रत्येक विकल्प के गुण और दोष पर चर्चा कीजिये। आप कार्यवाही का कौन-सा रास्ता अपनाएंगे और क्यों?
3. विश्वविद्यालय की प्रवेश प्रक्रिया में पारदर्शिता, निष्पक्षता और बाह्य दबावों का प्रतिरोध सुनिश्चित करने के लिये कौन-से संस्थागत सुधार लागू किये जा सकते हैं?
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