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प्रश्न. डॉ. अंजलि, एक प्रतिबद्ध और ईमानदार आईएएस अधिकारी, हाल ही में राज्य स्वास्थ्य विभाग की निदेशक के रूप में नियुक्त हुई हैं। कार्यभार संभालने के तुरंत बाद, उन्हें सरकारी अस्पतालों के लिये जीवन रक्षक चिकित्सा उपकरणों की खरीद में बड़े पैमाने पर अनियमितताएँ पता चलती हैं।
वेंटिलेटर के लिये एक विशेष अनुबंध एक निजी कंपनी को दिया गया था जो सुरक्षा और गुणवत्ता मानकों को पूरा करने में विफल रही। हाल ही में एक स्वास्थ्य संकट के दौरान तकनीकी खराबी के कारण कई मरीज़ों की जान चली गई। जाँच के दौरान, अंजलि ने पाया कि निविदा प्रक्रिया में हेरफेर कर कंपनी को अनुचित लाभ पहुँचाया गया था। खरीद से संबंधित फाइल उनके पूर्ववर्ती द्वारा संदेहास्पद परिस्थितियों में मंज़ूर की गई थी, जो अब सेवानिवृत्त हो चुके हैं। विभाग के कई कनिष्ठ अधिकारी इन अनियमितताओं से अवगत हैं, लेकिन पेशेवर जोखिम के भय से खुलकर सामने नहीं आ रहे हैं।
इस बीच, एक वरिष्ठ पत्रकार अंजलि के पास खरीद सौदे में भ्रष्टाचार साबित करने वाले लीक हुए दस्तावेज़ों के साथ पहुँचता है। एक पत्रकार इस खुलासे को प्रकाशित करने के लिये तैयार है, लेकिन वह आगाह करता है कि प्रभावशाली व्यावसायिक और प्रशासनिक हित इसे दबाने का प्रयास कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त, एक कार्यकर्त्त्ता समूह तत्काल कानूनी कार्रवाई की मांग करते हुए एक औपचारिक शिकायत दर्ज करता है।
अंजलि जब विचार-विमर्श करती हैं, तो उन्हें वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों से राजनीतिक प्रभाव के तहत स्थानांतरण के जोखिम के कारण पिछले निर्णयों पर पुनर्विचार करने से बचने और भविष्य के शासन पर ध्यान केंद्रित करने के लिये सूक्ष्म दबाव मिलता है। कुछ सहकर्मी उन्हें चेतावनी देते हैं कि इस मुद्दे को आक्रामक रूप से उठाने से अचानक तबादला हो सकता है या प्रशासनिक स्तर पर उन्हें हाशिये पर डाला जा सकता है।
1. इस मामले में नैतिक मुद्दे क्या हैं?
सामान्य अध्ययन पेपर 4 केस स्टडीज़
2. एक कर्त्त्तव्यनिष्ठ सिविल सेवक के रूप में अंजलि के लिये उपलब्ध विकल्पों का मूल्यांकन कीजिये?
3. सार्वजनिक खरीद में भ्रष्टाचार को रोकने, प्रशासनिक स्वतंत्रता सुनिश्चित करने और सरकारी संस्थाओं में मुखबिरों की सुरक्षा के लिये कौन-से प्रणालीगत सुधारों की आवश्यकता है?