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आरव एक भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) अधिकारी है जो एक दूरस्थ ज़िले के ज़िला मजिस्ट्रेट (DM) के रूप में कार्यरत है। उसकी पत्नी मीरा एक सरकारी अस्पताल में डॉक्टर है। उनकी एक छह वर्ष की बेटी है, जिसकी मुख्य रूप से देखभाल उनके (आरव और मीरा) कामकाज़ी जीवन के कारण दादी-नानी और एक घरेलू सहायिका ही करती हैं।
एक शाम, आरव दिन भर के कार्य के बाद ऑफिस से निकलने ही वाला होता है कि उसे मुख्य सचिव का एक ज़रूरी फोन आता है। ज़िले के बाहरी इलाके में किसी फैक्ट्री में एक बड़ी औद्योगिक दुर्घटना हुई है, जिसमें गंभीर संख्या में लोग हताहत हुए हैं। बचाव कार्यों की देखरेख और आपदा प्रबंधन टीमों के साथ समन्वय के लिये उसकी तत्काल उपस्थिति की आवश्यकता है।
उसी समय, उसे एक और कॉल आती है—इस बार उसकी पत्नी से; जिसमें उसे बताया जाता है कि उनकी बेटी अचानक बीमार पड़ गई है और उसे तुरंत चिकित्सा की आवश्यकता है। घर पर उसकी उपस्थिति उसके परिवार को भावनात्मक सहारा प्रदान करेगी, विशेषकर इसलिये क्योंकि मीरा की अस्पताल में आपातकालीन सर्जरी होनी है।
आरव अपने पेशेवर कर्त्तव्य के बीच दुविधा में उलझा हुआ है, जिसके तहत कई लोगों के जीवन को प्रभावित करने वाली विपत्ति से मोचन के लिये तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता है, तो दूसरी ओर एक पति और पिता के रूप में उसकी नैतिक जिम्मेदारी है। उसे तय करना है कि इस स्थिति में उसकी प्राथमिकता क्या है।
प्रश्न:
(क) इस मामले में शामिल नैतिक दुविधाओं का अभिनिर्धारण कीजिये।
सामान्य अध्ययन पेपर 4 केस स्टडीज़
(ख) यदि आप आरव की जगह होते तो इस स्थिति को कैसे संभालते?
(ग) इस मामले के संदर्भ में, लोक सेवकों के लिये बेहतर कार्य-जीवन संतुलन सुनिश्चित करने में संस्थागत तंत्र के महत्त्व पर चर्चा कीजिये।