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युवा आईएएस अधिकारी आशुतोष बाढ़ प्रभावित ज़िले में डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट के पद पर कार्यरत हैं। हाल ही में आई बाढ़ के दौरान उनकी टीम ने लोगों को निकालने और राहत पहुँचाने के लिये अथक प्रयास किया। हालाँकि, एक पत्रकार ने एक रिपोर्ट प्रकाशित की जिसमें आरोप लगाया गया कि राहत शिविरों का प्रबंधन अपर्याप्त है, जिसमें अपर्याप्त स्वच्छता और चिकित्सा सुविधाएँ शामिल थीं। इस लेख ने सोशल मीडिया पर खूब सुर्खियाँ बटोरीं, जिसके कारण आशुतोष के प्रशासन की सार्वजनिक आलोचना हुई।
सामान्य अध्ययन पेपर 4 केस स्टडीज़
आशुतोष मानते हैं कि कुछ आरोप अतिशयोक्तिपूर्ण हैं, लेकिन उनका यह भी मानना है कि धन की कमी के कारण बचाव प्रयासों में वास्तविक कमियाँ हैं। उनके वरिष्ठ ने इस मुद्दे पर एक रिपोर्ट मांगी है, जबकि राज्य सरकार ने उन्हें जनता के असंतोष को और अधिक बढ़ने से रोकने के लिये कथानक को नियंत्रित करने पर ध्यान देने को कहा है। इस बीच, उन्हें चल रहे राहत प्रयासों का समन्वय जारी रखने की भी आवश्यकता है।
आशुतोष अपनी प्रतिष्ठा को बचाने और राहत कार्यों में वास्तविक चुनौतियों का सामना करने के बीच उलझे हुए हैं। इस दुविधा में वह जवाबदेही, पारदर्शिता और प्रभावी प्रशासन के बीच संतुलन किस प्रकार बना पाएंगे।
(क) इस स्थिति में कौन-कौन से हितधारक शामिल हैं?
(ख) इस मामले में शामिल नैतिक मुद्दों का अभिनिर्धारण कीजिये।
(ग) आशुतोष तत्काल संकट और स्थिति से उजागर प्रणालीगत मुद्दों, दोनों को हल करने के लिये क्या कदम उठा सकते हैं?