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सरकारी बुनियादी ढाँचा परियोजना में वरिष्ठ प्रबंधक रवि पर क्षेत्रीय कनेक्टिविटी के लिये महत्त्वपूर्ण हाईवे निर्माण को निर्धारित समय-सीमा के भीतर पूरा करने का भारी दबाव है। भूमि अधिग्रहण से जुड़ी समस्याओं और ठेकेदार की अक्षमता के कारण परियोजना में हो रही देरी पर उच्च अधिकारियों ने कड़ी आलोचना की है, साथ ही समय पर लक्ष्य हासिल न करने पर निलंबन की चेतावनी भी दी है। इसी दौरान, एक निजी सलाहकार रवि से संपर्क करता है और उससे आगामी नियामक मंज़ूरी से जुड़ी अंदरूनी जानकारी साझा करता है। सलाहकार का दावा है कि इससे मंज़ूरी प्रक्रिया में तेज़ी आ सकती है, बशर्ते रवि सलाहकार को अनुकूल शर्तों पर काम करने के लिये तैयार करे। साथ ही, रवि को उप-ठेकेदार के चालान में वित्तीय अनियमितताएँ पता चलती हैं, हालाँकि वह इस दुविधा में है कि अगर वह इस पर कार्रवाई करता है, तो इससे परियोजना में और देरी हो सकती है और उसकी टीम तथा संगठन को नकारात्मक प्रचार का सामना करना पड़ सकता है।
रवि अब परस्पर विरोधी दायित्वों के बीच उलझा हुआ है— अपनी व्यक्तिगत ईमानदारी को बरकरार रखना, परियोजना को समय पर पूरा करना और साथ ही अपने कॅरियर की रक्षा करना। रवि को अपने विकल्पों का सावधानीपूर्वक विश्लेषण करना होगा, जहाँ परियोजना की विश्वसनीयता और अपनी पेशेवर प्रतिष्ठा को बनाए रखते हुए, नैतिक मूल्यों के प्रति प्रतिबद्धता एवं संगठनात्मक दक्षता की आवश्यकता के बीच संतुलन स्थापित करना आवश्यक है।
(a) इस स्थिति में अनिल कुमार को जिन नैतिक दुविधाओं का सामना करना पड़ता है, उनका अभिनिर्धारण कर विस्तार से चर्चा कीजिये।
सामान्य अध्ययन पेपर 4 केस स्टडीज़
(b) अनिल कुमार के सामने मौजूद विभिन्न कार्यवाही विकल्पों का विश्लेषण कीजिये और उनके पक्ष और विपक्ष का मूल्यांकन कीजिये।
(c) अनिल कुमार के लिये सबसे नैतिक और व्यावसायिक रूप से उपयुक्त कार्यवाही की सिफारिश करते हुए उनकी स्थिति का गहन विश्लेषण कीजिये।