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गंगा नदी बेसिन के पास के ग्रामीण क्षेत्र की स्थानीय अर्थव्यवस्था रेत खनन पर तेज़ी से निर्भर हो गई है। स्थानीय सरकार द्वारा सख्त नियमों के तहत सीमित क्षेत्रों में रेत खनन के लिये परमिट जारी किये है। हालाँकि इस क्षेत्र में अवैध रेत खनन वृहद् पैमाने पर हो रहा है, जिसमें उच्च दर्जे के ठेकेदार स्थानीय संसाधनों का दोहन कर रहे हैं और पर्यावरण को नुकसान पहुँचा रहे हैं। कई ठेकेदार अनुमत सीमा से अधिक और गैर-निर्दिष्ट क्षेत्रों से रेत निकालते हैं, जिससे नदी का प्रवाह, स्थानीय जैवविविधता और आस-पास की कृषि भूमि पर हानिकारक प्रभाव पड़ रहा है।
ज़िला अधिकारी के रूप में निरिक्षण करते समय आप देखते हैं कि नियामक निकायों की मौजूदगी के बावजूद बड़े पैमाने पर अवैध रेत खनन गतिविधियाँ चल रही हैं। पूछताछ करने पर, मज़दूरों का दावा है कि वे सीमा के भीतर काम करने वाले एक पंजीकृत ठेकेदार द्वारा नियोजित हैं। हालाँकि आप देखते हैं कि प्रतिबंधित क्षेत्रों में भारी मशीनरी का प्रयोग किया जा रहा है। ग्राम निवासियों की शिकायत है कि अवैध खनन उनके खेतों को नुकसान पहुँचा रहा है, कटाव कर रहा है और पानी की उपलब्धता को प्रभावित कर रहा है। इसके अलावा, आपको ज्ञात होता है कि स्थानीय प्रशासन कथित तौर पर प्रभावशाली राजनीतिक हस्तियों की भागीदारी के कारण इस मुद्दे को नज़रअंदाज़ कर रहा है या अपनी आँखें मूंद रहा है।
1. इस स्थिति में कौन-कौन से हितधारक शामिल हैं?
सामान्य अध्ययन पेपर 4 केस स्टडीज़
2. उपरोक्त मामले में शामिल नैतिक मुद्दों को उजागर कर उन पर विस्तार से चर्चा कीजिये।
3. एक ज़िला अधिकारी के रूप में आप इस स्थिति के समाधान हेतु क्या कदम उठाएंगे?