1. हम एक साथ पर्यवेक्षक और प्रेक्षित की भूमिका में होते हैं, जिससे आत्म-धारणा के पुनरावलोकन से हमारी वास्तविकताओं का चित्रण होता है।
2. चेतना एक ऐसा कैनवास एवं उसमें रूपांकन हेतु प्रयुक्त ब्रश है, जिसमें प्रत्येक विचार से संबंधित वास्तविकताओं का चित्रण होता है।