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चंद्रपुर में स्थानीय प्रशासन को दुविधा का सामना करना पड़ा क्योंकि शिवाजी स्टेडियम, जो कि स्थानीय खेलों के लिये एक लोकप्रिय स्थान है लेकिन खराब होता जा रहा है, ढहने के कगार पर था। साथ ही शहरी अर्थव्यवस्था कोयला खदानों के बंद होने से पीड़ित थी, जिससे बेरोज़गारी बढ़ रही थी और पलायन की समस्या आ रही थी। संयोगवश दो प्रस्ताव ज़िला कलेक्टर की मेज पर आ गए। जिसमें से एक प्रस्ताव में एक कंपनी ने स्टेडियम की ज़मीन पर एक शॉपिंग कॉम्प्लेक्स निर्माण करने की पेशकश की, जिसमें हज़ारों लोगों को रोज़गार देने का वादा किया गया, जबकि दूसरी ओर भारतीय खेल प्राधिकरण ने स्थानीय खेल संस्कृति को संरक्षित करने तथा संभावित रूप से राष्ट्रीय मान्यता प्राप्त करने के लिये स्टेडियम को एक बहु-खेल प्रशिक्षण अकादमी में परिवर्तित करने का प्रस्ताव रखा।
दोनों प्रस्तावों में स्टेडियम की संपूर्ण ज़मीन की आवश्यकता थी, जिससे टाउन हॉल मीटिंग में तनावपूर्ण चर्चा छिड़ गई। पूर्व एथलीट, बेरोज़गार खनिक और युवा खेल उत्साही आर्थिक स्थिरता तथा अपनी खेल विरासत को संरक्षित करने के बीच उलझे हुए थे। ज़िला कलेक्टर के तौर पर आपको इस स्थिति से निपटना होगा।
शिवाजी स्टेडियम के भविष्य के लिये निर्णय लेने की प्रक्रिया में कौन-कौन से हितधारक शामिल हैं?
चंद्रपुर पर दोनों निर्णयों (टेक पार्क और खेल परिसर) के संभावित सामाजिक-आर्थिक प्रभावों पर चर्चा कीजिये।
चंद्रपुर के लिये सतत् दीर्घकालिक विकास और समृद्धि सुनिश्चित करने के लिये ज़िला कलेक्टर कौन-सी रणनीति अपना सकते हैं?
सामान्य अध्ययन पेपर 4 केस स्टडीज़