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आप हाल ही में छत्तीसगढ़ राज्य के सुदूर और गरीब ज़िले, दंतेवाड़ा के ज़िला कलेक्टर के रूप में तैनात हुए एक युवा आईएएस अधिकारी हैं। दंतेवाड़ा हिंसक नक्सली विद्रोह का केंद्र रहने के साथ माओवादी विद्रोहियों एवं सुरक्षा बलों के बीच एक लंबे संघर्ष का क्षेत्र रहा है जिसके कारण पिछले कुछ दशकों में यहाँ हजारों लोगों की जान गई है।
आदिवासी किसानों तथा उत्पीड़ितों के अधिकारों के लिये लड़ने का दावा करने वाले नक्सलियों ने दंतेवाड़ा के जंगलों एवं गाँवों के बड़े हिस्से में शासन की एक समानांतर प्रणाली स्थापित की है। ये अपनी अदालतें चलाते हैं, नागरिकों पर कर लगाते हैं तथा बारूदी सुरंग हमलों के माध्यम से सरकारी बुनियादी ढाँचे तथा सुरक्षा कर्मियों को निशाना बनाते हैं।
अर्द्धसैनिक बलों की काफी अधिक उपस्थिति के बावजूद, ज़िला प्रशासन का दायरा मुश्किल से ही ज़िला मुख्यालय से आगे विस्तारित हो पाता है। दंतेवाड़ा के लिये आवंटित अधिकांश विकास निधि का भ्रष्ट अधिकारियों द्वारा दुरुपयोग किया जाता है या अनिश्चित सुरक्षा स्थिति के कारण यह अप्रयुक्त रह जाती है।
दंतेवाड़ा की स्थिति अत्यधिक अस्थिर होने के कारण हिंसा की नियमित घटनाओं से बेहतर शासन एवं विकास के प्रयास बाधित हो रहे हैं। सबसे वरिष्ठ लोक प्राधिकारी के रूप में, आप पर लंबे समय से चले आ रहे इस संघर्ष को हल करने के क्रम में एक प्रभावी रणनीति खोजने का दायित्व बना हुआ है।
उपर्युक्त परिदृश्य में:
- इस मुद्दे में शामिल प्रमुख नैतिक दुविधाएँ क्या हैं?
- इस संघर्ष प्रभावित क्षेत्र में प्रशासन को बेहतर बनाने के साथ विकास को बढ़ावा देने के क्रम में ज़िला कलेक्टर के रूप में आपकी प्राथमिकताएँ और कार्य योजनाएँ क्या होंगी?
- इस मामले पर विचार करते हुए आप विकास, सुरक्षा तथा शिकायत निवारण जैसे व्यापक दृष्टिकोण के माध्यम से उग्रवाद के इस लंबे संघर्ष को हल करने के लिये कौन से नीतिगत उपायों की सिफारिश करेंगे?