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आप भारत के एक ज़िले में ज़िला मजिस्ट्रेट के रूप में तैनात हैं, जहाँ के ग्रामीण क्षेत्रों में विभिन्न जाति समूह के लोग रहते हैं। विधिक प्रावधानों एवं सकारात्मक नीतियों के बावजूद, इस ज़िले में जातिगत भेदभाव के मामले प्रचलित हैं। हाल ही में उच्च मानी जाने वाली जाति की प्रमुखता वाले गाँव के एक सरकारी स्कूल के दलित छात्रों के एक समूह ने अपने उच्च जाति के सहपाठियों तथा शिक्षकों द्वारा किये जाने वाले भेदभाव एवं उत्पीड़न की शिकायत करते हुए आपसे संपर्क किया है।
इन छात्रों का आरोप है कि उन्हें अक्सर अलग बैठाने तथा सामान्य जल स्रोत का उपयोग करने की अनुमति न देने के साथ साथियों एवं शिक्षकों द्वारा उनके प्रति मौखिक रूप से दुर्व्यवहार किया जाता है। वे यह भी दावा करते हैं कि परीक्षा में उन्हें उच्च जाति के समकक्षों की तुलना में कम ग्रेड दिये जाते हैं।
जाँच करने पर आपको पता चलता है कि उपर्युक्त आरोप सही हैं तथा इस स्कूल में दलित छात्रों के प्रति पूर्वाग्रह बना हुआ है। उच्च जाति के सदस्यों के प्रभुत्व वाला यह स्कूल प्रबंधन "परंपरा" एवं "सामाजिक मानदंडों" का हवाला देते हुए इस मुद्दे को हल करने के प्रति भी अनिच्छुक है।
ज़िला मजिस्ट्रेट के रूप में आप इस स्कूल के जातिगत भेदभाव का समाधान करने के क्रम में इस स्थिति से नैतिक तथा प्रभावी ढंग से किस प्रकार निपटेंगे? दलित छात्रों हेतु न्याय सुनिश्चित करने तथा स्कूल में अधिक समावेशी एवं न्यायसंगत माहौल सुनिश्चित करने के क्रम में आप क्या कदम उठाएंगे?
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