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एक प्रसिद्ध भारतीय कार कंपनी ने ग्राहकों को समान गुणवत्ता के उत्पाद प्रदान करने के वादे के साथ स्थानीय बाज़ार में एक कार का एक अंतर्राष्ट्रीय मॉडल लॉन्च किया। हालाँकि एक औचक जाँच में पाया गया कि यह कारें अनुमोदित विशिष्टताओं के अनुरूप नहीं हैं और बाद में की गई जाँच से जानकारी मिली कि इसमें कदाचार किया गया है। यह कंपनी भारत में सिर्फ कम गुणवत्ता की कारें ही नहीं बेच रही थी बल्कि इसके द्वारा स्थानीय बिक्री हेतु अस्वीकृत निर्यात मॉडल को अपनाया जा रहा था। इस अनैतिक आचरण का पता चलने से कंपनी की प्रतिष्ठा के साथ उसे वित्तीय नुकसान हुआ। ऐसे में कंपनी को लोगों का विश्वास हासिल करने तथा ऑटोमोटिव उद्योग में अपनी स्थिति को बहाल करने हेतु इन मुद्दों को हल करना आवश्यक हो गया।
इन अनैतिक कार्यों से कंपनी की छवि को काफी नुकसान होने के साथ इसके परिणामस्वरूप घरेलू और वैश्विक स्तर पर इसको वित्तीय नुकसान हुआ। उपभोक्ताओं के साथ विश्वासघात करने से प्रतिस्पर्धी ऑटोमोटिव उद्योग में इस कंपनी की स्थिति नकारात्मक रूप से प्रभावित हुई। ऐसे में कंपनी को सुधारात्मक उपायों को लागू करने तथा लोगों के बीच विश्वास को फिर से बहाल करने के साथ बाज़ार में अपनी स्थिति को पुनः मजबूत करना आवश्यक हो गया।
(a) इस आलोक में उपभोक्ताओं तथ नियामकों के बीच विश्वास बहाल करने में कंपनी की निर्णय निर्माण प्रक्रिया किन नैतिक विचारों से निर्देशित होनी चाहिये?
(b) कंपनी अपने हितधारकों के बीच नैतिक जागरूकता तथा जवाबदेही की संस्कृति को किस प्रकार बढ़ावा दे सकती है?
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