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शनिवार की शाम 9 बजे संयुक्त सचिव रशिका अपने कार्यालय में अब भी अपने काम में व्यस्त थी। उसके पति विक्रम किसी बहुराष्ट्रीय कंपनी में कार्यपालक हैं और अपने काम के सिलसिले में अकसर वे शहर से बाहर रहते हैं। उनके दो बच्चे क्रमशः 5 और 3 साल के हैं जिनकी देखभाल घरेलू सहायिका द्वारा होती है। रशिका के उच्च अधिकारी श्रीमान सुरेश ने उसे शाम 9ः30 बजे बुलाया और उन्होंने मंत्रालय की बैठक में चर्चा होने वाले किसी ज़रूरी मुद्दे पर एक विस्तृत टिप्पणी तैयार करने के लिये कहा। उसे लगा कि उसके उच्च अधिकारी द्वारा दिये गए इस अतिरिक्त काम को पूरा करने के लिये उसे रविवार को काम करना होगा।
वह स्मरण करती है कि कैसे वह इस पोस्टिंग के प्रति उत्सुक थी और इसे हासिल करने के लिये उसने कई महीने देर-देर तक काम किया था। उसने अपने कर्त्तव्यों के निर्वहन में लोगों के कल्याण को सर्वाेपरि रखा था। उसे महसूस होता है कि उसने अपने परिवार के साथ पर्याप्त न्याय नहीं किया है और आवश्यक सामाजिक दायित्वों के निर्वहन में कर्त्तव्यों को पूरा नहीं किया है। यहाँ तक कि अभी पिछले महीने उसे अपने बीमार बच्चे को आया की देखभाल में छोड़ना पड़ा था क्योंकि उसे दफ्तर में काम करना था। अब उसे लगता है कि उसे एक रेखा खींचनी चाहिये, जिसमें अपनी पेशेवर ज़िम्मेदारियों की तुलना में प्रथमतः निजी जिंदगी को महत्त्व मिलना चाहिये। वह सोचती है कि समय की पाबंदी, कड़ी मेहनत,कर्त्तव्यों के प्रति समर्पण और निःस्वार्थ सेवा जैसे कार्य नैतिकता की समुचित सीमाएँ होनी चाहिये।
(a) इस मामले में शामिल नैतिक मुद्दों पर चर्चा कीजिये।
सामान्य अध्ययन पेपर 4 केस स्टडीज़
(b) महिलाओं के लिये एक स्वस्थ, सुरक्षित और न्यायसंगत कार्य परिवेश मुहैया कराने के संदर्भ में सरकार द्वारा बनाए गए कम-से-कम चार कानूनों का संक्षेप में वर्णन कीजिये।
(c) कल्पना कीजिये कि आप भी ऐसी ही स्थिति में हों। आप उक्त कामकाजी परिस्थितियों को हल्का करने के लिये क्या सुझाव देंगे?