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नीला (एक सिविल सेवक) को एक दूरस्थ और आदिवासी बहुल क्षेत्र में ज़िला मजिस्ट्रेट के रूप में नियुक्त किया जाता है। यह क्षेत्र कई चुनौतियों (जैसे कि अपर्याप्त बुनियादी ढाँचा, उच्च बेरोज़गारी दर और बुनियादी सुविधाओं तक पहुँच की कमी) का सामना कर रहा है। इस क्षेत्र की आदिवासी आबादी अपनी आजीविका के लिये मुख्य रूप से खेती और वन उपज पर निर्भर है। हालाँकि औद्योगीकरण और शहरीकरण के कारण इनके भूमि क्षेत्र और जंगलों में बड़े निगमों द्वारा खनन एवं वनों की कटाई करने से स्थानीय आबादी का विस्थापन होने के साथ उनकी आजीविका का नुकसान हो रहा है।
ज़िला मजिस्ट्रेट के रूप में नीला को कानून और व्यवस्था बनाए रखने के साथ नागरिकों के कल्याण को सुनिश्चित करने और इस क्षेत्र में विकास को बढ़ावा देने का कार्य सौंपा गया है। वह निगमों द्वारा शुरू की गई परियोजनाओं के सुचारू संचालन को सुविधाजनक बनाने के लिये भी जिम्मेदार है जिससे स्थानीय लोगों के लिये निवेश और नौकरी के अवसर सृजित होने की उम्मीद है।
हालाँकि इस क्षेत्र में कुछ और समय बिताने के बाद नीला को पता चलता है कि यह परियोजनाएँ पर्यावरण और प्राकृतिक संसाधनों को क्षति पहुँचाने के साथ आदिवासी लोगों के अधिकारों का उल्लंघन कर रही हैं। नीला को यह भी पता चलता है कि यह निगम भ्रष्ट आचरण में लिप्त हैं और सस्ते श्रम के रूप में स्थानीय लोगों का शोषण कर रहे हैं। दूसरी ओर नीला यह भी समझती हैं कि स्थानीय लोगों के जीवन स्तर में सुधार हेतु इस क्षेत्र में तत्काल निवेश के माध्यम से नौकरी के अवसरों को सृजित करने की आवश्यकता है।ऐसी स्थिति में नीला को क्या करना चाहिये? नीला की निर्णय निर्माण प्रक्रिया किन नैतिक सिद्धांतों से प्रेरित होनी चाहिये?
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