कुल प्रश्नों की संख्या : 1
-
श्रद्धा शर्मा पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय में एक वरिष्ठ सिविल सेवक हैं। वह पिछले 20 वर्षों से सेवारत हैं और इन्हें ईमानदार, सक्षम और निष्पक्ष सिविल सेवक के रूप में जाना जाता है। इनके विभाग को एक बड़े निगम को पर्यावरणीय मंजूरी देने का काम सौंपा गया है जो एक वन क्षेत्र में नया कारखाना स्थापित करना चाहता है।
श्रद्धा शर्मा इस बात से अवगत हैं कि इस परियोजना के गंभीर पर्यावरणीय प्रभाव हो सकते हैं जिसमें वनों की कटाई, जैव विविधता की हानि और प्रदूषण होना शामिल हैं। वह यह भी जानती हैं कि इस निगम का देश के अन्य भागों में पर्यावरणीय मानदंडों और विनियमों का उल्लंघन करने का इतिहास रहा है।
श्रद्धा शर्मा पर इस निगम की ओर से मंजूरी देने का काफी दबाव बना हुआ है क्योंकि इससे हजारों रोज़गार सृजित होने के साथ निवेश को प्रोत्साहन मिलेगा। दूसरी ओर इन पर पर्यावरण कार्यकर्ताओं और गैर सरकारी संगठनों का भी काफी दबाव बना हुआ है जो संभावित पर्यावरणीय और अन्य सामाजिक नुकसानों का हवाला देते हुए इस मंजूरी को अस्वीकार करने का आग्रह कर रहे हैं।
इस संदर्भ में श्रद्धा शर्मा विकास को बढ़ावा देने तथा रोज़गार सृजित करने के रूप में अपने कर्त्तव्य और पर्यावरण तथा स्थानीय समुदायों के हितों की रक्षा करने के रूप में अपने कर्त्तव्य के बीच दुविधा का सामना कर रही हैं। इस संदर्भ में इन्हें पर्यावरण मंजूरी देने या न देने का फैसला करना है और इनके इस फैसले के दूरगामी परिणाम होंगे।
प्रश्न. उपर्युक्त मामले में अपना निर्णय लेने के क्रम में श्रद्धा शर्मा को किन कारकों पर विचार करना चाहिये? इस नैतिक द्वंद के संभावित समाधान क्या हैं और प्रत्येक समाधान में शामिल दुविधाएँ क्या हैं?
सामान्य अध्ययन पेपर 4 केस स्टडीज़