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हाल ही में डिजी बैंक और बायोकॉइन का ऋण धोखाधड़ी का मामला चर्चा में था जिसमें डिजी बैंक द्वारा बायोकॉइन समूह को प्रदान किये गए ऋणों में अनियमितता की गई थी। इसकी सीईओ और प्रबंध निदेशक तीशा वर्मा थीं। वर्मा और उनके परिवार को कथित तौर पर बायोकॉइन समूह को ऋण देने के बदले रिश्वत मिली थी जिससे बैंक की गैर-निष्पादित संपत्ति (NPAs) में वृद्धि होने से 1,730 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था। इसके अलावा तीशा वर्मा के पति, बायोकॉइन कंपनी में प्रमुख पद पर थे और इस ऋण से उन्हें अप्रत्यक्ष रूप से लाभ हुआ था। इस संदर्भ में प्रवर्तन निदेशक को आगे की जाँच करने के लिये कहा जाता है और आप वरिष्ठ अधिकारी के रूप में इसका नेतृत्व कर रहे हैं। इस मामले में तीशा और उनके पति को निर्दोष ठहराने हेतु राजनीतिक दबाव भी डाला जा रहा है।
एक वरिष्ठ प्रवर्तन अधिकारी के रूप में आप इस स्थिति में क्या करेंगे? साथ ही इस प्रकार के नैतिक उल्लंघनों को रोकने के लिये आवश्यक सुझाव दीजिये।
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