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अश्विनी सूद एक किसान हैं जो बिहार के सीतामढ़ी ज़िले के एक मध्यम आकार के गाँव में रहते हैं। उन्हें एक बार स्थानीय पंचायत का नेतृत्व करने के लिये भी चुना गया था। उनका एक 25 वर्षीय बेटा है- दिव्यांश। परिवार का इकलौता बेटा होने के कारण दिव्यांश को बहुत ही लाड़-प्यार मिला जिसके चलते वह बिगड़ैल हो चुका था। वह घमंडी था और हमेशा अपनी ही मर्ज़ी चलाना चाहता था और छोटी सी बात पर भी लड़ाई कर लेता था।
क्षेत्र के एक प्राथमिक विद्यालय के शिक्षक को दिव्यांश ने सिर में गोली मार दी जबकि वहाँ काफी संख्या में लोग उपस्थित थे। उसे इस मामले से बाहर निकालने के लिये किये गए विविध प्रयासों के बावजूद गिरफ्तार कर लिया गया और जेल में ही रखा गया।
ज़िले के विधायक राज्य मंत्रिमंडल का हिस्सा हैं तथा लंबे समय से अश्वनी के मित्र भी हैं और वर्तमान सरकार में वे काफी प्रभावशाली हैं। वर्तमान ज़िला मजिस्ट्रेट (संजीत) के मंत्री के साथ अच्छे संबंध हैं क्योंकि उन्होंने इस ज़िले में आने से पहले सचिवालय में इसी मंत्री के अधीन काम किया था और इनकी सिफारिश भी मंत्री द्वारा ही की गई थी।
बाद में ज़िले के कैबिनेट मंत्री ने संजीत से दिव्यांश को पैरोल देने की सिफारिश करने के लिये मुलाक़ात की।
मंत्री ने यह दावा नहीं किया कि दिव्यांश निर्दोष है; उनकी दलील उन परिस्थितियों तक सीमित थी जिनसे परिवार गुज़र रहा था क्योंकि हाल ही में उनकी माँ की मृत्यु हो गई थी। मंत्री के अनुरोध ने संजीत के लिये कुछ कठिन परिस्थिति उत्पन्न कर दी है। क्योंकि इस मंत्री ने शायद ही कभी प्रशासनिक दिनचर्या के कार्यों में हस्तक्षेप किया हो।
संजीत को क्या करना चाहिये और क्यों?
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