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भारत में स्थित एक प्रतिष्ठित खाद्य उत्पाद कंपनी ने अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार के लिये एक खाद्य उत्पाद विकसित किया और आवश्यक अनुमोदन प्राप्त करने के बाद उसका निर्यात शुरू कर दिया। कंपनी ने इस उपलब्धि की घोषण्घा की और यह संकेत भी दिया कि जल्द ही यह उत्पाद घरेलू उपभोक्ताओं के लिये लगभग समान गुणवत्ता और स्वास्थ्य लाभ के साथ उपलब्ध कराया जाएगा। तदनुसार, कंपनी ने अपने उत्पाद को घरेलू सक्षम प्राधिकारी द्वारा अनुमोदित कराया और उत्पाद को भारतीय बाज़ार में लॉन्च किया। कंपनी ने समय के साथ बाज़ार में अपनी हिस्सेदारी को बढ़ाया और घरेलू तथा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पर्याप्त लाभ अर्जित किया। हालाँकि, निरीक्षण दल द्वारा किये गए यादृच्छिक नमूनों (रैंडम सैंपल) के परीक्षण में पाया गया कि सक्षम प्राधिकारी से प्राप्त अनुमोदन से भिन्न उत्पादों को घरेलू स्तर पर बेचा जा रहा है। आगे की जाँच में यह भी पता चला कि खाद्य कंपनी न केवल ऐसे उत्पादों को बेच रही थी, जो देश के स्वास्थ्य मानकों को पूरा नहीं कर रहे थे, बल्कि अस्वीकृत निर्यात उत्पाद को भी घरेलू बाज़ार में बेच रही थी। इस प्रकरण ने खाद्य कंपनी की प्रतिष्ठा और लाभदायकता पर प्रतिकूल प्रभाव डाला।
(a) घरेलू बाज़ार के लिये निर्धारित खाद्य मानकों का उल्लंघन करने और अस्वीकृत निर्यात उत्पादों को घरेलू बाज़ार में बेचने के लिये खाद्य कंपनी के खिलाफ सक्षम प्राधिकारी द्वारा आप क्या कार्रवाई की कल्पना करते हैं?
सामान्य अध्ययन पेपर 4 केस स्टडीज़
(b) संकट को हल करने और अपनी खोई हुई प्रतिष्ठा को वापस लाने के लिये खाद्य कंपनी के पास क्या क्रियाविधि उपलब्ध है?
(c) मामले में निहित नैतिक दुविधा की जाँच कीजिये। (उत्तर 250 शब्दों में दीजिये) -
भारतीय संविधान में मौलिक कर्तव्यों की मुख्य विशेषताओं पर प्रकाश डालिये। साथ ही, उन तरीकों की भी चर्चा कीजिये जिनसे अलग-अलग मंत्रालय व्यक्तिगत मौलिक कर्तव्यों को बढ़ावा देने में रचनात्मक भूमिका निभा सकते हैं। (150 शब्द)
सामान्य अध्ययन पेपर 2 राजव्यवस्था