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रिवीज़न टेस्ट्स इतिहास -
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रिवीज़न टेस्ट्स हिंदी साहित्य -
मारुति उत्तर प्रदेश के राजस्व विभाग में डिप्टी सेक्रेटरी के पद पर कार्यरत है। वह विभिन्न प्रयोजनों के लिये सरकारी भूमि के अनुदान का कार्य करती है। चूँकि भूमि बहुत दुर्लभ और बहुत महंगी हो गई है अतः ऐसे अनुदानों को सावधानी से देना होगा। सरकार ने सार्वजनिक उद्देश्यों के लिये अपनी भूमि के अनुदान हेतु एक नीति तैयार की है।
सरकार की नीति रही है कि सरकारी भूमि सार्वजनिक शिक्षण संस्थानों, छात्रावासों, अस्पतालों, धर्मार्थ संस्थानों, सरकारी कार्यालयों और ग्रामीण बुनियादी ढाँचे जैसे उद्देश्यों के लिये दी जा सकती है।
इसके अलावा समाज के कमज़ोर वर्गों के लिये शिक्षा, स्वास्थ्य और कौशल उन्नयन के कार्यक्रम चलाने वाली संस्थाओं हेतु कुछ मामलों में निजी पार्टियों को भूमि दी जा सकती है।
एक दिन एक प्रमुख शहरी स्थान में सांस्कृतिक केंद्र को भूमि देने का प्रस्ताव मारुति के डेस्क पर पहुँचा। इसका प्रस्ताव राज्य संस्कृति विभाग द्वारा नहीं, बल्कि एक निजी समूह द्वारा प्रस्तावित किया गया था।
जब मारुति फाइल पढ़ रही थी तभी उन्हें राजस्व मंत्री के निजी सचिव का फोन आया। जो व्यक्ति यह केंद्र स्थापित करना चाहता था वह सत्तारूढ़ राजनीतिक प्रतिष्ठान के एक प्रमुख केंद्रीय नेता से निकटता से संबंधित था।
निजी सचिव ने कहा कि प्रस्ताव को विभाग में निचले स्तरों द्वारा मंज़ूरी दी गई थी और मारुति को भी इसका सकारात्मक समर्थन करना चाहिये। मारुति ने देखा कि सरकार की नीति के तहत प्रस्ताव को मंज़ूरी नहीं दी जा सकती है।
निचले स्तर के कर्मचारियों ने प्रस्ताव को सही ठहराया क्योंकि आधिकारिक नीति प्रस्ताव में एक अवशिष्ट वाक्यांश ("अन्य सार्वजनिक उद्देश्यों के लिए सरकार द्वारा तय किया जा सकता है") हेतु अनुदान दिया जा सकता था। मारुति को डर था कि राजनीतिक संबंधों वाले एक निजी व्यक्ति को दिया गया मूल्यवान भूमि का अनुदान विवाद का कारण बन सकता है।
इस स्थिति में कार्रवाई का सही तरीका क्या होना चाहिये और क्यों?
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