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बीसवीं सदी का अंतिम दशक भारतीय सामाजिक-आर्थिक जीवन का एक महाप्रस्थान सिद्ध हुआ, जिसमें वैश्विक चुनौतियों एवं संभावनाओं के साँचे पर सरकार की नीतियों एवं कार्यव्रमों ने आकार ग्रहण किया, जो अपने चारित्रिक लक्षणों में पूर्ववर्ती नीतियों एवं कार्यव्रमों से नितांत भिन्न थे। व्याख्या करें।
सामान्य अध्ययन पेपर 1 इतिहास -
वर्तमान में भारतीय न्यायिक व्यवस्था में व्याप्त विसंगतियों की विवेचना करें एवं इसके निवारण हेतु मौलिक उपाय सुझाएँ।
सामान्य अध्ययन पेपर 2 सामाजिक न्याय