17 Jul 2024 | सामान्य अध्ययन पेपर 1 | भारतीय समाज
दृष्टिकोण / व्याख्या / उत्तर
हल करने का दृष्टिकोण:
- शैक्षिक असमानताओं का संक्षिप्त परिचय दीजिये।
- शैक्षिक असमानताओं के विभिन्न आयामों का उल्लेख कीजिये।
- शैक्षिक असमानताओं के प्रभाव पर प्रकाश डालिये।
- इस मुद्दे के समाधान हेतु उपाय बताइये।
- उचित निष्कर्ष लिखिये।
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परिचय:
शैक्षिक असमानता का तात्पर्य विभिन्न समूहों के बीच शैक्षिक अवसरों, उनकी गुणवत्ता एवं परिणामों तक असमान पहुँच का होना है। ये असमानताएँ अक्सर व्यापक सामाजिक-आर्थिक असमानताओं को दर्शाने के साथ गरीबी और हाशिये के चक्र को बनाए रखने का कारण बनती हैं। शैक्षिक असमानताएँ विश्व भर में महत्त्वपूर्ण चुनौती (खासकर भारत जैसे विकासशील देशों में) बनी हुई हैं।
मुख्य भाग:
शैक्षिक असमानता के आयाम
- शिक्षा तक पहुँच
- भौगोलिक असमानता: ग्रामीण या दूर-दराज़ के क्षेत्रों में छात्रों को अक्सर शहरी क्षेत्रों की तुलना में शैक्षिक सुविधाओं तक कम पहुँच मिलती है। दूर-दराज़ के क्षेत्रों में स्कूलों की संख्या कम होने के साथ इनमें सुविधाओं एवं योग्य शिक्षकों की कमी होती है।
- सामाजिक-आर्थिक असमानता: कम आय वाले परिवारों के बच्चों को शिक्षा में बाधाओं का सामना करना पड़ सकता है जैसे कि स्कूल की फीस, यूनिफॉर्म, किताबें या अन्य आवश्यक संसाधनों को वहन करने में असमर्थता का होना।
- शिक्षा की गुणवत्ता
- बुनियादी ढाँचा और संसाधन: वंचित क्षेत्रों के स्कूलों में कक्षाएँ, पुस्तकालय, प्रयोगशालाएँ और डिजिटल संसाधन जैसे आवश्यक बुनियादी ढाँचे की कमी हो सकती है। इससे प्रदान की जाने वाली शिक्षा की गुणवत्ता प्रभावित होती है।
- शिक्षकों की गुणवत्ता: क्षेत्रीय स्तर पर शिक्षकों की योग्यता और अनुभव में असमानताएँ हो सकती हैं। गरीब या दूर-दराज़ क्षेत्रों के स्कूलों में योग्य शिक्षकों को आकर्षित करने तथा बनाए रखने में संघर्ष करना पड़ सकता है।
- शैक्षणिक परिणाम
- शैक्षणिक प्रदर्शन में अंतर: छात्रों के विभिन्न समूहों के बीच शैक्षणिक प्रदर्शन और उपलब्धि के स्तर में अंतर, अक्सर सामाजिक-आर्थिक एवं जातीय कारकों से संबंधित होता है।
- ड्रॉपआउट दरें: वित्तीय दबाव, सहयोग की कमी या शिक्षा में अन्य बाधाओं के कारण वंचित समूहों के बीच शिक्षा में उच्च ड्रॉपआउट दरें देखी जाती हैं।
- लैंगिक असमानता
- पहुँच: कुछ क्षेत्रों की (विशेष रूप से विकासशील देशों में) लड़कियों की शिक्षा तक पहुँच सीमित हो सकती है और लड़कों की तुलना में इनकी ड्रॉपआउट दरें अधिक हो सकती हैं। ऐसा सांस्कृतिक मानदंडों, कम उम्र में विवाह एवं लिंग आधारित हिंसा के कारण हो सकता है।
- विकलांगता और विशेष आवश्यकताएँ
- समावेशी शिक्षा: विकलांग या विशेष आवश्यकता वाले छात्रों को उचित शैक्षिक सुविधाओं, संसाधनों और सहायक सेवाओं को प्राप्त करने में अतिरिक्त बाधाओं का सामना करना पड़ सकता है।
शैक्षिक असमानताओं का प्रभाव
- आर्थिक असमानता: शैक्षिक असमानताओं से अक्सर आर्थिक असमानताओं को बढ़ावा मिलता है। गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक सीमित पहुँच वाले व्यक्तियों के लिये रोज़गार एवं आय के सीमित अवसर होने से गरीबी को बढ़ावा मिलता है।
- सामाजिक गतिशीलता: शिक्षा, सामाजिक गतिशीलता का एक प्रमुख माध्यम है। शिक्षा की पहुँच और गुणवत्ता में असमानताएँ होने से हाशिये पर स्थित समुदायों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति में सुधार करने के क्रम में बाधाएँ आती हैं।
- पीढ़ीगत प्रभाव: शैक्षिक असमानताओं का आने वाली पीढ़ियों पर प्रभाव पड़ता है। कम शिक्षित माता-पिता के बच्चों की शिक्षा तक सीमित पहुँच की अधिक संभावना होती है, जिससे यह गरीबी के दुष्चक्र में फँसे रहते हैं।
शैक्षिक असमानताओं को दूर करने की रणनीतियाँ
- बुनियादी ढाँचे में निवेश: शैक्षिक बुनियादी ढाँचे का विस्तार और सुधार (विशेष रूप से ग्रामीण एवं वंचित क्षेत्रों में) आवश्यक है। अधिक स्कूल बनाने, पर्याप्त सुविधाएँ प्रदान करने तथा डिजिटल संसाधनों तक पहुँच सुनिश्चित करने से शैक्षिक पहुँच एवं गुणवत्ता को बढ़ावा मिल सकता है।
- वित्तीय सहायता: छात्रवृत्ति, मुफ्त पाठ्य पुस्तकें एवं रियायती परिवहन के रूप में वित्तीय सहायता प्रदान करने से शिक्षा से संबंधित आर्थिक बाधाओं को कम करने में मदद मिल सकती है। सशर्त नकद हस्तांतरण कार्यक्रम से स्कूलों में छात्रों की उपस्थिति को प्रोत्साहन मिल सकता है।
- शिक्षक प्रशिक्षण: शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिये शिक्षक प्रशिक्षण में निवेश करना निर्णायक है। प्रभावी शिक्षण हेतु प्रशिक्षित एवं समर्पित शिक्षक आवश्यक हैं।
- समावेशी शिक्षा नीतियाँ: हाशिये पर स्थित समूहों की ज़रूरतों को पूरा करने वाली समावेशी शिक्षा नीतियों को लागू करना महत्त्वपूर्ण है। इसमें लैंगिक समानता को बढ़ावा देना, विकलांग बच्चों का समर्थन करना और जाति-आधारित भेदभाव को करना करना शामिल है।
- सामुदायिक समन्वय: शिक्षा प्रक्रिया में विभिन्न समुदायों को शामिल करने से एक सहायक शिक्षण वातावरण को बढ़ावा मिल सकता है। समुदाय-आधारित कार्यक्रम एवं अभिभावक-शिक्षक संघ, जवाबदेहिता को बढ़ावा देने के साथ स्कूलों में स्थानीय भागीदारी को प्रोत्साहित कर सकते हैं।
निष्कर्ष:
अधिक समतापूर्ण समाज को बढ़ावा देने हेतु शैक्षिक असमानताओं को दूर करना आवश्यक है। शिक्षा से संबंधित बाधाओं को दूर करने के साथ यह सुनिश्चित करके कि सभी व्यक्तियों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के अवसरों तक पहुँच प्राप्त हो, हम गरीबी के दुष्चक्र को तोड़ने एवं सामाजिक गतिशीलता को बढ़ावा देने के साथ अधिक समावेशी और समृद्ध भविष्य के निर्माण में योगदान कर सकते हैं।