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दिवस- 8: वैश्वीकरण के जिस स्वरूप से हम अवगत हैं, उसका अंत हो चुका है। टिप्पणी कीजिये। (150 शब्द)

16 Jul 2024 | सामान्य अध्ययन पेपर 1 | भारतीय समाज

दृष्टिकोण / व्याख्या / उत्तर

हल करने का दृष्टिकोण:

  • वैश्वीकरण का संक्षिप्त में परिचय दीजिये।
  • पारंपरिक वैश्वीकरण मॉडल के समक्ष चुनौतियों पर चर्चा कीजिये।
  • तर्क दीजिये कि वैश्वीकरण के जिस स्वरूप से हम अवगत हैं, उसका अंत नहीं हुआ है, बल्कि यह विकसित हुआ है और एक नए स्वरूप में बने रहने की संभावना है।
  • उपयुक्त निष्कर्ष लिखिये।

परिचय:

वैश्वीकरण, व्यापार, प्रौद्योगिकी और सांस्कृतिक आदान-प्रदान के माध्यम से देशों के बीच बढ़ती हुई अंतर्संबंधता और अन्योन्याश्रयता की प्रक्रिया ने आधुनिक विश्व को महत्त्वपूर्ण रूप से आकार दिया है। हालाँकि हाल के रुझानों और चुनौतियों ने कुछ लोगों को यह सवाल करने पर मजबूर कर दिया है कि वैश्वीकरण के जिस स्वरूप से हम अवगत हैं क्या उसका अंत हो चुका है या इसका निरंतर विकास हो रहा है।

मुख्य भाग:

  • वैश्वीकरण के पारंपरिक मॉडल के समक्ष चुनौतियाँ:
  • आर्थिक राष्ट्रवाद: बढ़ते आर्थिक राष्ट्रवाद और संरक्षणवादी नीतियों जैसे व्यापार युद्ध तथा टैरिफ आदि से वैश्विक आपूर्ति शृंखलाएँ बाधित हुई हैं।
    • उदाहरण के लिये, अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध से वैश्विक व्यापार पैटर्न में महत्त्वपूर्ण बदलाव आए हैं।
  • महामारी का प्रभाव: कोविड-19 महामारी ने वैश्विक आपूर्ति शृंखलाओं में कमज़ोरियों को उजागर किया है, जिसमे आत्मनिर्भरता एवं स्थानीय उत्पादन की मांग शामिल है। महामारी ने लचीली और अनुकूलनीय वैश्विक प्रणालियों की आवश्यकता को रेखांकित किया है।
  • लोकलुभावनवाद और वैश्वीकरण विरोधी भावना: विभिन्न देशों में लोकलुभावन नीतियों और आंदोलनों के उदय ने वैश्विक एजेंडे को चुनौती दी है।
    • डोनाल्ड ट्रम्प और जेयर बोल्सोनारो जैसे नेताओं ने ऐसी नीतियों का समर्थन किया है, जो वैश्विक सहयोग की तुलना में राष्ट्रीय हितों को प्राथमिकता देती हैं।
  • सांस्कृतिक प्रतिक्रिया: सांस्कृतिक समरूपता और स्थानीय पहचान के अभाव ने वैश्वीकरण के कुछ पहलुओं के प्रति प्रतिरोध को बढ़ावा दिया है। स्थानीय संस्कृतियों और परंपराओं के संरक्षण का समर्थन करने वाले आंदोलनों ने तीव्र गति पकड़ी है।

वैश्वीकरण का अंत नहीं हुआ है, बल्कि इसका विकास हुआ है और संभवत: भविष्य में इसका नया रूप देखने को मिलेगा।

  • डिजिटल क्रांति: डिजिटल प्रौद्योगिकी में प्रगति ने वैश्विक संवाद को बदल कर रख दिया है, जिससे त्वरित संचार और आभासी सहयोग की सुविधा मिलती है। जबकि पारंपरिक रूप से व्यापारिक मार्ग और भौतिक संपर्क बदल गए हैं, डिजिटल प्लेटफॉर्म से वैश्वीकरण के दायरे में विस्तार हुआ है।
  • सतत् विकास: जलवायु परिवर्तन और सामाजिक असमानता जैसे मुद्दों को संबोधित करते हुए, सतत् तथा न्यायसंगत वैश्वीकरण पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है।
    • पेरिस समझौता और सतत् विकास लक्ष्य (SDG) जैसी पहल इस उभरते एजेंडे को प्रतिबिंबित करती हैं।
  • क्षेत्रीयकरण: क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक साझेदारी (RCEP) जैसे क्षेत्रीय व्यापार समझौतों और सहयोगों की ओर बदलाव हो रहा है।
    • यह क्षेत्रीयकरण वैश्वीकरण के अंत का संकेत नहीं है, बल्कि यह वैश्विक व्यापार गतिशीलता के पुनर्विन्यास को दर्शाता है।
  • नवाचार प्रेरित: कृत्रिम बुद्धिमत्ता और ब्लॉकचेन जैसी नई प्रौद्योगिकियों का एकीकरण वैश्विक संवाद को भविष्य में एक नया आकार प्रदान करेगा। इन नवाचारों में वैश्विक सहयोग और व्यापार के लिये नए अवसर उत्पन्न करने की क्षमता है।

निष्कर्ष:

जबकि वैश्विक एजेंडे के तत्त्वों पर आर्थिक, राजनीतिक और सामाजिक कारकों द्वारा सवाल उठाए गए हैं तथा उन्हें नया रूप दिया गया है, वैश्वीकरण समाप्त अंत नही हुआ है बल्कि इसका निरंतर विकास हो रहा है। भविष्य में वैश्वीकरण संभवतः स्थानीय लचीलेपन को वैश्विक सहयोग के साथ एकीकृत करते हुए एक नए स्वरूप में दिखाई देगा।