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दिवस- 8: जनांकिकीय आपदा के कगार से जनांकिकीय लाभांश तक भारत की यात्रा विभिन्न क्षेत्रों में रणनीतिक हस्तक्षेप पर निर्भर करती है। विश्लेषण करें। (250 शब्द)

16 Jul 2024 | सामान्य अध्ययन पेपर 1 | भारतीय समाज

दृष्टिकोण / व्याख्या / उत्तर

हल करने का दृष्टिकोण:

  • भारत में जनांकिकीय लाभांश और जनसांख्यिकीय प्रवृत्तियों का संक्षिप्त में परिचय दीजिये।
  • देश में जनांकिकीय लाभांश को साकार करने के लिये आवश्यक रणनीतिक हस्तक्षेपों का उल्लेख कीजिये।
  • उपयुक्त निष्कर्ष लिखिये।

परिचय:

जनांकिकीय लाभांश का आशय उस संभावित प्रबल आर्थिक विकास से है जो किसी जनसंख्या में कार्य करने वालों की संख्या तथा उस पर आश्रित लोगों की संख्या का अनुपात अधिक होने पर प्राप्त हो सकता है। हालाँकि भारत रोज़गार रिपोर्ट 2024 के अनुसार, भारत की कार्यशील आबादी वर्ष 2011 में 61% से बढ़कर वर्ष 2021 में 64% हो गई तथा वर्ष 2036 में इसके 65% तक पहुँचने का अनुमान है। दूसरी ओर, आर्थिक गतिविधियों में शामिल युवाओं का प्रतिशत वर्ष 2022 में घटकर 37% रह गया। इस प्रकार, संभावित जनांकिकीय आपदा के कगार से जनांकिकीय लाभांश को साकार करने के लिये भारत के कई क्षेत्रों में रणनीतिक हस्तक्षेपों को शामिल करता है।

मुख्य भाग:

विभिन्न क्षेत्रों में रणनीतिक हस्तक्षेप की आवश्यकता:

  • शिक्षा और कौशल विकास:
    • शैक्षिक बुनियादी ढाँचे में वृद्धि: युवा आबादी को आवश्यक कौशल प्रदान करने के लिये सभी स्तरों पर गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक पहुँच में सुधार करना।
      • राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) जैसी योजनाओं का कार्यान्वयन और स्कूल के बुनियादी ढाँचे में सुधार के लिये कार्यक्रम।
    • व्यावसायिक प्रशिक्षण और कौशल विकास: कार्यबल के कौशल को उद्योग की आवश्यकताओं के अनुरूप विकसित करने के लिये व्यावसायिक प्रशिक्षण और कौशल विकास पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
      • प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (PMKVY) जैसे कौशल विकास कार्यक्रमों का विस्तार।
  • स्वास्थ्य सेवा में सुधार
    • स्वास्थ्य प्रणालियों को मज़बूत करना: शिशु और मातृ मृत्यु दर को कम करने तथा समग्र सार्वजनिक स्वास्थ्य में सुधार करने हेतु स्वास्थ्य देखभाल बुनियादी ढाँचे में वृद्धि करना।
      • राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) और आयुष्मान भारत जैसे कार्यक्रमों का उद्देश्य स्वास्थ्य सेवा की पहुँच तथा गुणवत्ता में सुधार करना है।
    • परिवार नियोजन और प्रजनन स्वास्थ्य: जनसंख्या वृद्धि को प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने के लिये परिवार नियोजन और प्रजनन संबंधी स्वास्थ्य सेवाओं को बढ़ावा देना।
      • व्यापक परिवार नियोजन कार्यक्रम लागू करना तथा गर्भनिरोधक विकल्पों तक पहुँच सुनिश्चित करना।
  • वित्तीय नीतियाँ:
    • रोज़गार के अवसरों को बढ़ावा देना: बढ़ती कार्यशील आयु वाली आबादी को समायोजित करने के लिये रोज़गार के अवसर सृजित करना तथा उद्यमशीलता को समर्थन देना
      • स्टार्टअप इंडिया और मेक इन इंडिया जैसी पहलों का उद्देश्य रोज़गार सृजन एवं आर्थिक विकास को बढ़ावा देना है।
    • लघु एवं मध्यम उद्यमों (SMEs) को समर्थन देना: रोज़गार सृजन और आर्थिक विकास के लिये लघु एवं मध्यम उद्यम महत्त्वपूर्ण हैं। समर्थन नीतियों से उनके विकास को बढ़ावा मिल सकता है।
      • अर्थव्यवस्था में उनके योगदान को बढ़ाने हेतु एसएमई को वित्तीय सहायता, बुनियादी ढाँचा और प्रौद्योगिकी प्रदान करना।
  • सामाजिक और लैंगिक समानता
    • महिलाओं को सशक्त बनाना जनांकिकीय लाभांश को अधिकतम करने के लिये कार्यबल और निर्णय लेने की प्रक्रियाओं में महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित करना।
      • बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ जैसी योजनाओं को लागू करना तथा शिक्षा और रोज़गार में लैंगिक समानता को बढ़ावा देना।
    • सामाजिक समावेशन: संसाधनों और अवसरों तक समान पहुँच सुनिश्चित करने के लिये विभिन्न सामाजिक समूहों के बीच असमानताओं को दूर करना।
      • हाशिए पर पड़े समुदायों का समर्थन और समावेशी विकास सुनिश्चित करने के लिये नीतियों को मज़बूत बनाना।
  • बुनियादी ढाँचे का विकास:
    • शहरी और ग्रामीण विकास: आर्थिक गतिविधियों को समर्थन देने और जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाने के लिये शहरी तथा ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में बुनियादी ढाँचे का विकास करना।
      • स्मार्ट सिटी मिशन और प्रधानमंत्री आवास योजना जैसी परियोजनाओं का उद्देश्य शहरी तथा ग्रामीण क्षेत्र में बुनियादी ढाँचे विकसित करना है।
    • डिजिटल और तकनीकी प्रगति: उत्पादकता और सेवाओं तक पहुँच में सुधार हेतु डिजिटल तकनीकी तथा साक्षरता को बढ़ावा देना।
      • डिजिटल बुनियादी ढाँचे का विस्तार और डिजिटल इंडिया जैसी पहल का उद्देश्य विभिन्न क्षेत्रों में प्रौद्योगिकी को एकीकृत करना है।
  • संभावित चुनौतियाँ:
    • असमानता और क्षेत्रीय विषमताएँ: क्षेत्रीय विषमताओं को संबोधित और विभिन्न राज्यों तथा समुदायों में समान अवसर सुनिश्चित करना जनांकिकीय लाभांश को साकार करने के लिये महत्त्वपूर्ण है।
    • स्थायित्व और संसाधन प्रबंधन: सुनिश्चित करना कि संभावित नुकसान से बचने के लिये जनांकिकीय वृद्धि को स्थायी संसाधन प्रबंधन और पर्यावरण संरक्षण के साथ संतुलित किया करना।
    • नीति समन्वय: हस्तक्षेपों के सफल कार्यान्वयन और वांछित परिणाम प्राप्त हेतु विभिन्न नीतियों तथा हितधारकों के बीच प्रभावी समन्वय आवश्यक है।

निष्कर्ष:

शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा, आर्थिक नीतियों, सामाजिक समानता और बुनियादी ढाँचे के विकास पर ध्यान केंद्रित करके, भारत अपनी जनांकिकीय क्षमता का दोहन कर सकता है तथा सतत् आर्थिक वृद्धि एवं विकास को आगे बढ़ा सकता है। इन रणनीतियों का सफल कार्यान्वयन जनांकिकीय चुनौतियों को प्रगति जैसे अवसरों में बदलने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।