दृष्टिकोण / व्याख्या / उत्तर
हल करने का दृष्टिकोण:
- औद्योगिक क्रांति और इसकी समय-सीमा को परिभाषित कीजिये।
- विभिन्न क्षेत्रों में स्थिरता से गतिशीलता के रूप में रूपांतरण को उजागर कीजिये।
- बढ़ी हुई गतिशीलता के कारण कुछ चुनौतियों का उल्लेख कीजिये।
- समाज पर औद्योगिक क्रांति के समग्र प्रभाव पर चर्चा करते हुए निष्कर्ष लिखिये।
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भूमिका:
18वीं सदी के अंत में शुरू हुई औद्योगिक क्रांति ने दुनिया भर के समाज को मौलिक रूप से परिवर्तित किया। इस युग ने स्थिरता से लेकर कृषि अर्थव्यवस्थाओं और पारंपरिक जीवन शैली तक एक महत्त्वपूर्ण बदलाव को चिह्नित किया, जो गतिशील आर्थिक, सामाजिक एवं तकनीकी परिवर्तनों में परिलक्षित होता है।
मुख्य बिंदु:
आर्थिक परिवर्तन:
- औद्योगिक अर्थव्यवस्था में बदलाव: कारखाने उत्पादन के नए केंद्र के रूप में उभरे, जिससे छोटे स्तर पर की जाने वाली कृषि में गिरावट देखी गई। इस बदलाव ने न केवल उत्पादन क्षमता में वृद्धि की, बल्कि नए आर्थिक अवसर भी उत्पन्न किये, जिससे लोगों को शहरी केंद्रों में रोज़गार की तलाश करने के लिये प्रोत्साहित किया गया।
- रोज़गार गतिशीलता: जैसे-जैसे उद्योगों में वृद्धि हुई, रोज़गार के अवसर बढ़े, जिसके परिणामस्वरूप महत्त्वपूर्ण रूप से रोज़गार में गतिशीलता देखने को मिली। कई व्यक्ति कार्य की तलाश में ग्रामीण क्षेत्रों से शहरों की ओर पलायन कर गए, जिससे जनसंख्या वितरण में बदलाव आया।
सामाजिक परिवर्तन:
- वर्ग संरचना में परिवर्तन: औद्योगीकरण के उदय ने एक नए सामाजिक वर्ग- औद्योगिक श्रमिक वर्ग के उद्भव को जन्म दिया। व्यक्ति अब विस्तारित औद्योगिक क्षेत्र में शिक्षा और रोज़गार के अवसरों के माध्यम से अपनी स्थिति में सुधार कर सकते थे।
- इस परिवर्तन ने पारंपरिक सामाजिक पदानुक्रम को बाधित कर दिया, जिससे सामाजिक गतिशीलता में वृद्धि हुई।
- शहरीकरण: जैसे-जैसे लोग कार्य के लिये शहरों की ओर बढ़ते गए, शहरी केंद्र विविध संस्कृतियों और विचारों के संगम बन गए। इस प्रवासन ने सामाजिक संपर्क तथा आदान-प्रदान को बढ़ावा दिया, जिससे पहले से अलग-थलग पड़े लोगों में सामुदायिक भावना को बढ़ावा मिला।
तकनीकी परिवर्तन:
- नवाचार और आविष्कार: भाप इंजन, मशीनीकृत करघे और नई विनिर्माण प्रक्रियाओं जैसे नवाचारों ने उत्पादकता तथा दक्षता को बढ़ाया। इन तकनीकी बदलावों का आर्थिक गतिशीलता में योगदान से रोज़मर्रा की ज़िंदगी में परिवर्तन आया, जिससे समाज में एक-दूसरे से अधिक जुड़ाव संभव हुआ।
- परिवहन और संचार: रेलवे और टेलीग्राफ के विकास ने संचार एवं परिवहन में क्रांति ला दी। इन नवाचारों ने लोगों तथा सामानों की आवाजाही को आसान बनाया, गतिशीलता को बढ़ावा दिया और क्षेत्रों के बीच अधिक संपर्क स्थापित हुए।
बढ़ी हुई गतिशीलता की चुनौतियाँ:
- सामाजिक विषमताएँ: औद्योगिक क्रांति द्वारा प्रदान किये गए अवसरों के बावजूद, बढ़ी हुई गतिशीलता से सामाजिक विषमताओं को भी वृद्धि हुई। औद्योगीकरण से उत्पन्न वित्त अक्सर कुछ लोगों के हाथों में केंद्रित हो जाता था, जिससे कई श्रमिकों की स्थिति खराब हो जाती थी।
- शहरी मुद्दे: तेज़ी से शहरीकरण के परिणामस्वरूप कई चुनौतियाँ सामने आईं, जिनमें भीड़भाड़ वाले शहर, अपर्याप्त आवास और सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट शामिल हैं।
- पर्यावरण संबंधी चिंताएँ: लकड़ी और कोयले जैसे कच्चे माल की बढ़ती मांग के कारण व्यापक वनों की कटाई हुई। औद्योगिक प्रक्रियाओं के लिये जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता ने ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में उल्लेखनीय वृद्धि की है, जिससे ग्लोबल वार्मिंग तथा जलवायु प्रभावित हुई है।
निष्कर्ष:
औद्योगिक क्रांति ने लोगों के जीवन, कार्य और आपसी संबंधों को मौलिक रूप से परिवर्तित किया। यह समकालीन समाज को एक नया आकार प्रदान करता है, जो गतिशीलता तथा स्थिरता के बीच संतुलन बनाए रखने के लिये संघर्ष पर ज़ोर देती है।